अति सर्वत्र गर्जयेत

।। कमलेश सिंह।। (इंडिया टुडे ग्रुप डिजिटल के प्रबंध संपादक) भारत ने भारतवंशी प्रीत भरारा को करारा जवाब दिया है. उन्होंने हमारी वाणिज्य दूत देवयानी खोबरागड़े को गिरफ्तार किया, तलाशी ली और हवालात में रखा. हमने अमेरिका को विएना कन्वेंशन दिखा कर इसे नाजायज करार दिया. अमेरिका ने हमें वहां के कानून की किताब पकड़ायी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2013 3:48 AM

।। कमलेश सिंह।।

(इंडिया टुडे ग्रुप डिजिटल के प्रबंध संपादक)

भारत ने भारतवंशी प्रीत भरारा को करारा जवाब दिया है. उन्होंने हमारी वाणिज्य दूत देवयानी खोबरागड़े को गिरफ्तार किया, तलाशी ली और हवालात में रखा. हमने अमेरिका को विएना कन्वेंशन दिखा कर इसे नाजायज करार दिया. अमेरिका ने हमें वहां के कानून की किताब पकड़ायी और कहा कि ज्यादती की जांच होगी पर बाकी सब जायज है. अव्वल तो हम कुछ करते नहीं और करते हैं तो अति करते हैं. अति सर्वत्र वर्जयेत पर अति का जवाब अति तो क्या आपत्ति. अमेरिकी राजनयिकों से सारी सुविधाएं वापस लीं, उनके दूतावास के सामने से सुरक्षा घेरा हटा लिए, सबके आमदनी-खर्चे का हिसाब मांगा और त्योहारों के मौसम में ड्यूटी-फ्री दारू बंद करवा दी. अब जब आंख के बदले आंख का मामला सेटल हुआ दिखता है, तो एक नजर इस पर मार लें कि इस बार इस कदर गदर क्यों मचा.

हमारे पूर्व राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री तक के कपड़े उतार चुके अमेरिका पर हम इस बार ऐसे क्यों टूट पड़े कि मानो दोस्ती टूट जानी है? नेता, वैज्ञानिक या शाहरुख खान तो आते-जाते रहते हैं. वह उन पर धौंस जताते हैं और हम बदले में आपत्ति जता देते हैं. पर इस बार मामला नौकरशाही का था. जब मामला उनका हो तो फिर आपत्ति काफी नहीं, कड़े कदम उठाये जाते हैं. एक आइएफएस अधिकारी के साथ ऐसा बर्ताव आइएफएस अधिकारियों को तनिक न सुहाया. चूंकि विदेश नीति के कार्यान्वयन का अधिकार उनका है, उन्होंने किया जो मर्जी में आया.

अमेरिका के गुरूर से अकड़ी गर्दन का मर्दन अच्छी बात है. कभी-कभार अपने गर्दन का भी सुदर्शन करना चाहिए. अमेरिका में बहुत कुछ बुरा है. जैसे कानून के सामने सब बराबर. वहां सब को एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है. हमारे यहां एयरपोर्ट पर सूची टंगी होती है, जिसमें एक दामाद भी आते हैं, जिनकी तलाशी प्रतिबंधित है. कई यूरोपीय देशों के प्रधानमंत्री फ्लैट में रहते हैं और खुद गाड़ी चलाकर ऑफिस जाते हैं. हमारे यहां सायरन-युक्त काफिला होता है. नीदरलैंड की राजकुमारी साइकिल से स्कूल जाती हैं. उरुग्वे के राष्ट्रपति को ठीक-ठाक तनख्वाह मिलती है पर वह अपने जीर्ण-शीर्ण घर में रहते हैं और 1987 मॉडल की कार चलाते हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के बेटे को शराब पीकर गाड़ी चलाने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया तो नियम के अनुसार अभिभावक को थाने जाकर छुड़ाना पड़ा. टोनी ब्लेयर थाने गये, बेल बांड भरा फिर बेटा मिला. भारत में किसी की मजाल कि कलक्टर के बेटे को हाथ लगा ले. पूछताछ कर ली तो थानाधिकारी निलंबित. यहां लालबत्ती को देखते ही सड़क की सारी बत्तियां हरी हो जाती हैं, उनको क्या मालूम सड़क पर घंटों सर धुनना कैसा लगता है. आटे-दाल का भाव कैसे कुनबे के किराये पर दबाव बनाता है, सरकारी बंगलों में बैठे सरकार को पता चले भी तो कैसे.

संसद सदस्य आस-पास बंगलों में रहते हैं, जिनकी कीमत आजकल दो सौ करोड़ से ऊपर है. सरकार उनके लॉन तक की देखभाल करती है. प्रधानमंत्री तो बहुत बड़ी हस्ती है इस बस्ती में. छोटे अधिकारी भी बंगले, गाड़ी, अर्दली और खानसामा पाते हैं. किसको कितनी सुविधा मिले, ये नियम नेता और नौकरशाह मिलकर बनाते हैं; अपने लिए जितना हो सके मुफ्त की व्यवस्था रखते हैं. देश की सेवा कर रहे हैं, इसलिए लालबत्ती तो बनता है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल में हर तरफ लालबत्ती पर आपत्ति की तो कितनों के अरमानों को बत्ती लग गयी. जनता के पैसे पर बंगले में रहते हैं, जनता के पैसे की गाड़ी में चलते हैं और जनता को ही लालबत्ती दिखा ललकारते हैं.

अमेरिका में न्यूनतम मजदूरी का नियम लागू है, सख्ती से, सब पर. देवयानी उस का उल्लंघन कर रही थी. नौकरानी संगीता ने हिम्मत की और शिकायत लगा दी. उसके परिवार को भारत में सताया जाने लगा. जो देवयानी के साथ हुआ वह तो ज्यादती है, पर वह नौकरानी भी भारत की ही बेटी थी. गुस्सा शांत हो जाए तो अपनी सहानुभूति का एक टुकड़ा उसे भी दीजियेगा. दो महीने पहले अमेरिका ने भारत को मामला सुलझाने को कहा. हमने कुछ नहीं किया. नौकरानी अफसर के खिलाफ शिकायत करे तो यहां कौन सुनता है. अमेरिका ने देवयानी को गिरफ्तार कर लिया. पूरी तलाशी ली ताकि गिरफ्तार व्यक्ति के पास कोई ऐसा सामान ना बचे, जिससे वह कस्टडी में खुद को या दूसरों को हानि पहुंचा सके. वही बर्ताव किया जो हर गिरफ्तार आम आदमी के साथ होता है. आइएफएस वीवीआइपी होता है. यह अमेरिका वालों को कौन बताये. अमरीकी कहते हैं देवयानी अपनी नौकरानी का शोषण कर रही थी. उन्हें कौन समझाये शोषण वीआइपी कल्चर का कश्मीर है. अटूट अंग.

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