खुफिया तंत्र पर ध्यान देने की जरूरत
आतंकवाद एवं उग्रवाद का प्रसार देश के अधिकांश हिस्सों में हो चुका है. देश का शासनतंत्र इन्हें रोकने मे विफल रहा है. भीड़ में हों या ट्रेन मे सफर कर रहे हों, किसी भी जाति-संप्रदाय के व्यक्ति सुरक्षित नहीं हैं. बेवजह निर्दोषलोगों का खून बहाया जा रहा है. सूदूर ग्रामीण इलाकों मे उग्रवादियों का वर्चस्व […]
आतंकवाद एवं उग्रवाद का प्रसार देश के अधिकांश हिस्सों में हो चुका है. देश का शासनतंत्र इन्हें रोकने मे विफल रहा है. भीड़ में हों या ट्रेन मे सफर कर रहे हों, किसी भी जाति-संप्रदाय के व्यक्ति सुरक्षित नहीं हैं. बेवजह निर्दोषलोगों का खून बहाया जा रहा है. सूदूर ग्रामीण इलाकों मे उग्रवादियों का वर्चस्व है, जहां शायद पुलिस भी जाने से कतराती है. लोगों में दहशत व्याप्त हुआ है.
ऐसी परिस्थिति में खुफियातंत्र का विशेष महत्व है. लेकिन खुफिया रिपोर्टो पर त्वरित कार्रवाई में देरी होना, खुफियातंत्र एवं शासनतंत्र में तालमेल का अभाव जैसी बातें, अपराधियों के लिए वरदान साबित होती हैं एवं कारवाई होने के पूर्व ही अपराधी सचेत हो जाते हैं और अपना स्थान एवं अपराध के तरीके बदल देते हैं. अत: खुफियातंत्र और शासनतंत्र के बीच तालमेल जरूरी है.
मृत्युंजय नाथ शाहदेव, हरमू रोड, रांची