बेहतर प्रबंधन जरूरी

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घोषणा की है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के पुनर्गठन के लिए एक विशेषज्ञ समूह बनायेगी़ उनका कहना है कि देश को अधिक बैंकों की नहीं, बल्कि मजबूत बैंकों की जरूरत है़ बैंकिंग प्रणाली में अनेक स्तरों पर सुधार की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 7, 2016 12:56 AM

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घोषणा की है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के पुनर्गठन के लिए एक विशेषज्ञ समूह बनायेगी़ उनका कहना है कि देश को अधिक बैंकों की नहीं, बल्कि मजबूत बैंकों की जरूरत है़ बैंकिंग प्रणाली में अनेक स्तरों पर सुधार की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है़ कर्ज के रूप में फंसी भारी रकम, बैंकों को अपेक्षानुरूप लाभ न होना, कई बैंकों का घाटे में चलना, आम जनता के लिए बैंकिंग सुविधाओं में जटिलता जैसी अनेक समस्याएं हैं, जिनका त्वरित समाधान किया जाना चाहिए़ अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और देश के वित्तीय स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए बैंकों का मजबूत होना जरूरी शर्त है़ संतोष की बात है कि सरकार ने वित्तीय परिसंपत्तियों की पुनर्संरचना और सुरक्षा तथा दिवालियेपन से संबंधित कानूनी पहलें की है़ं कर्ज वसूली के लिए ट्रिब्यूनल बनाने की प्रक्रिया काफी आगे बढ़ चुकी है़.

लेकिन, इन सब उपायों के साथ बैंकों के सक्षम प्रबंधन को सुनिश्चित कराने की दिशा में भी ठोस कदम उठाये जाने चाहिए़ उद्योगपति विजय माल्या को बिना समुचित गारंटी के लगातार कर्ज देने का सवाल उठ खड़ा हुआ है़ अक्सर ऐसे मामले सामने आये हैं, जिनमें बैंकों ने वसूली की संभावनाओं पर ठीक से विचार किये बगैर भारी कर्ज मुहैया कराया है. रिपोर्टों की मानें, तो वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों के प्रमुखों की आलोचना की है और उन्हें सार्वजनिक धन को बरबाद नहीं करने की चेतावनी दी है.

बैंक प्रबंधन को चुस्त-दुरुस्त करना इसलिए भी अनिवार्य है, क्योंकि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देश के वित्तीय बाजार में 70 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी बैंकों की है. खबरों के मुताबिक, पिछले दिनों बैंक प्रमुखों की बैठक में वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने बताया कि देश के करदाता इस बात से नाराज हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कामकाज और प्रदर्शन बेहद निराशाजनक है. इस बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन भी मौजूद थे, जो बैंकों के प्रबंधन और प्रशासन की लचर प्रवृत्ति पर पहले भी चिंता व्यक्त कर चुके हैं.

वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बनी हुई है. देश में अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सार्वजनिक पूंजी और निवेश की बड़ी जरूरत है. सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों की दशा और दिशा पर आर्थिक भविष्य निर्भर करता है. ऐसे में अगर बैंकिंग प्रणाली बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता से काम नहीं करेगी, तो आर्थिक समृद्धि और विकास के प्रयास सफल न हो सकेंगे. इस संबंध में तुरंत प्राथमिकताएं निर्धारित करने की जरूरत है.

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