किस काम की जांच रिपोर्ट?
कोई भी दंगा-बवाल हो, उसकी तह तक जाने के लिए एक जांच दल बैठा दिया जाता है़ पीड़ित को दिलासा दिया जाता है कि उसे जांच रिपोर्ट आने पर न्याय मिलेगा़ लेकिन ऐसा होता नहीं. मुजफ्फरनगर में सितंबर 2013 में हुए दंगों पर जस्टिस विष्णुसहाय को दो महीने में अंतिम प्रतिवेदन देने को कहा गया […]
कोई भी दंगा-बवाल हो, उसकी तह तक जाने के लिए एक जांच दल बैठा दिया जाता है़ पीड़ित को दिलासा दिया जाता है कि उसे जांच रिपोर्ट आने पर न्याय मिलेगा़ लेकिन ऐसा होता नहीं.
मुजफ्फरनगर में सितंबर 2013 में हुए दंगों पर जस्टिस विष्णुसहाय को दो महीने में अंतिम प्रतिवेदन देने को कहा गया था, जिसे उन्होंने दो साल बाद दिया और इसमें राज्य के नेताओं को सारे आरोपों से बरी कर स्थानीय एसपी, जिलाधिकारी एवं गृह सचिव के कंधों पर पूरी जिम्मेदारी डाल दी़ जबकि सच यह है कि 2014 के आम चुनावों को लेकर समाज के ध्रुवीकरण के लिए एक खास पार्टी ने इसे नियोजित किया था़ ऐसी जांच का क्या फायदा, जिसमें गुनाहगार ही बरी कर दिये जायें?
जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर