पापमोचन पत्रों की याद

पर्यावरण से छेड़छाड़ का परिणाम उत्तराखंड सहित दुनिया के कई भागों में हम पहले ही देख चुके हैं. यमुना नदी के संरक्षण पर श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा विश्व सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) पर्यावरण को क्षति पहुंचाने का आरोप लगा चुकी है़ ऐसे में पर्यावरण के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 11, 2016 5:12 AM
पर्यावरण से छेड़छाड़ का परिणाम उत्तराखंड सहित दुनिया के कई भागों में हम पहले ही देख चुके हैं. यमुना नदी के संरक्षण पर श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा विश्व सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) पर्यावरण को क्षति पहुंचाने का आरोप लगा चुकी है़ ऐसे में पर्यावरण के कीमत पर पर्यावरण का संरक्षण न्यायोचित नहीं है़
फिर भी एनजीटी द्वारा पांच करोड़ के जुर्माने से क्या पर्यावरण गंदा नहीं होगा? यमुना के अधिकांश अतिक्रमित भूमि को भी अतीत में जुर्माना लेकर रेगुलराइज किया जाता रहा है़ ऐसे में सरकारी संस्थाओं के इस रवैये से मध्य युगीन यूरोप में पोप द्वारा पापमोचन पत्रों के बिक्री का स्मरण हो आता है, जो धन द्वारा पापों से मुक्ति की गारंटी देता था़
अजय झा ‘तिरहुतिया’, हुगली

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