‘आप’ के उदय के मायने

दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘आप’ की जीत बेहद आश्चर्यजनक एवं अविस्मरणीय रही. यह महज जीत नहीं, बल्कि एक नयी राजनीतिक शक्ति का ऐतिहासिक उदय है. जो भारतीय लोकतंत्र के स्थायित्व एवं बेहतरी के लिए शुभ है. यह परिघटना दिनकर की पंक्ति ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ को चरितार्थ करती है. आम आदमी की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2013 4:41 AM

दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘आप’ की जीत बेहद आश्चर्यजनक एवं अविस्मरणीय रही. यह महज जीत नहीं, बल्कि एक नयी राजनीतिक शक्ति का ऐतिहासिक उदय है. जो भारतीय लोकतंत्र के स्थायित्व एवं बेहतरी के लिए शुभ है.

यह परिघटना दिनकर की पंक्ति ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ को चरितार्थ करती है. आम आदमी की इस जीत ने लोगों में आशा की नयी किरण का संचार किया है कि अब भी लोकतंत्र में ईमानदार व पारदर्शी राजनीति के लिए जगह है. जनता अब जातिवाद, सांप्रदायिकता, वोट बैंक की निकृष्ट राजनीति तथा दकियानूसी सोच से बाहर आ चुकी है. साथ ही वह अपने मताधिकार के प्रति जागरूक हो चुकी है. वह अब किसी पार्टी द्वारा उठाये गये विकास, शिक्षा, रोजगार-सृजन, सुरक्षा एवं बेहतर व भ्रष्टाचार मुक्त शासन व्यवस्था जैसे मुद्दों की ही ओर आकर्षित होती है.

रवि रंजन, हरमू, रांची

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