वेतन आयोग की संस्तुति

सातवें वेतन आयोग द्वारा सरकारी कर्मियों के वेतन में लगभग 23 प्रतिशत की वृद्धि की संस्तुति की गयी है़ आम जनता का पेट काट कर सरकारी कर्मियों के पेट भरने और जनता को सुख देने का मूल उद्देश्य निरस्त हो जाता है़ वेतन आयोग ने संस्तुति दी है कि कर्मी को आरामदेह जीवन जीने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2016 6:23 AM
सातवें वेतन आयोग द्वारा सरकारी कर्मियों के वेतन में लगभग 23 प्रतिशत की वृद्धि की संस्तुति की गयी है़ आम जनता का पेट काट कर सरकारी कर्मियों के पेट भरने और जनता को सुख देने का मूल उद्देश्य निरस्त हो जाता है़
वेतन आयोग ने संस्तुति दी है कि कर्मी को आरामदेह जीवन जीने के लिए पर्याप्त वेतन चाहिए़ तो मैं कहता हूं कि रिक्शावाले को आरामदेह जीवन जीने का हक नहीं? पांच हजार रुपये प्रति माह कमानेवाले रिक्शावाले पर टैक्स लगाकर पचास हजार रुपये कमानेवाले सरकारी कर्मियों का वेतन बढ़ाने क्या तुक है?
इससे साफ पता चलता है कि सरकार अमीरों को आगे बढ़ा रही है़ गरीबों को लेकर बस घड़ियाली आंसू बहाने की परंपरा चल रही है़ सरकार की पहली प्राथमिकता गरीबों के कल्याण की होनी चाहिए़ आर्थिक स्थिति को मजबूत करे़ अतः सरकार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में सुधार करना चाहिए़
सुमित कु बड़ाईक, ई-मेल से

Next Article

Exit mobile version