हाशिये पर बुजुर्ग

आज के विकास ने अगर सबसे अधिक हाशिये पर किसी वर्ग को लाया है तो वह है बुजुर्ग. बड़े शहरों में उपभोक्तावाद के चलन, आसान जीवन की ललक और रोजगार की उपलब्धता ग्रामीण और कस्बाई युवाओं को आकृष्ट करती है. ऐसे में वे पैसे और रोटी की तलाश में निकल पड़ते हैं बड़े शहरों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2016 1:11 AM
आज के विकास ने अगर सबसे अधिक हाशिये पर किसी वर्ग को लाया है तो वह है बुजुर्ग. बड़े शहरों में उपभोक्तावाद के चलन, आसान जीवन की ललक और रोजगार की उपलब्धता ग्रामीण और कस्बाई युवाओं को आकृष्ट करती है. ऐसे में वे पैसे और रोटी की तलाश में निकल पड़ते हैं बड़े शहरों की ओर. यहां वे उतने पैसे भले ही ना कमा पायें, लेकिन रोटी की जुगत हो जाती है. उनका एकल परिवार महानगरीय जीवन में रम जाता है, अपनी-अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं की संतुष्टि में बेलाग. ऐसे में हाशिये पर छूट जाते हैं वे बुजुर्ग, जो अपने बच्चों का इंतजार उनके ‘घर’ पर करते हैं.
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