देश में फैली एक अंधेरी दुनिया

।।अजय प्रकाश।।एक अंधेरी, डरावनी और छिपी हुई दुनिया इस देश में फैली हुई है. यह दुनिया गोलियों, कैप्सूलों, इंजेक्शनों, तंबाकू में मिलाने, सूंघे जाने वाले पदार्थों और सॉफ्ट ड्रिंक में डालकर पिये जाने वाले पदार्थों से बनी है और इसके पंख पंजाब-राजस्थान से लेकर दूर उत्तर-पूर्व में मणिपुर-नगालैंड तक पसरे हुए हैं.. अवैध नशे की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:38 PM

।।अजय प्रकाश।।
एक अंधेरी, डरावनी और छिपी हुई दुनिया इस देश में फैली हुई है. यह दुनिया गोलियों, कैप्सूलों, इंजेक्शनों, तंबाकू में मिलाने, सूंघे जाने वाले पदार्थों और सॉफ्ट ड्रिंक में डालकर पिये जाने वाले पदार्थों से बनी है और इसके पंख पंजाब-राजस्थान से लेकर दूर उत्तर-पूर्व में मणिपुर-नगालैंड तक पसरे हुए हैं..

अवैध नशे की ये भूमिगत नदियां तब दिखाई देती हैं जब कभी कोई मोटी और मशहूर मछली पकड़ में आती है और हम दंग रह जाते हैं कि देश के बड़े-बड़े ग्लैमरस सितारे, फिल्मी हस्तियां, खिलाड़ी, देश का गर्व कहे जानेवाले मुक्केबाज और बहुत से ताकतवर लोग इन नदियों में बह रहे हैं. एक तरफ, पंजाब से सटे मोहाली में ओलिंपियन मुक्केबाज विजेंदर सिंह और उनके साथी रामसिंह की गिरफ्तारी होती है तो दूसरी तरफ, भारतीय सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल अजय चौधरी, म्यांमार सीमा पर ड्रग की तस्करी करते पकड़े जाते हैं. नशीली दवाओं के इस दुष्चक्र का एक सिरा फिल्म अभिनेता संजय दत्त से जुड़ता है, जो अभी 1993 में मुंबई बम धमाकों के मामले में जेल की सजा काट रहे हैं. दरअसल संजय की जिंदगी को पेचीदा बनाने में तीन चीजों का बड़ा हाथ रहा है: ड्रग्स, हथियार और अंडरवर्ल्ड. सच तो यह है कि ये तीनों चीजें आपस में गहरे जुड़ी हुई हैं.

एक गैरसरकारी संगठन चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक भारत में नशाखोरी से ग्रस्त करीब 64 फीसद लोग वे हैं, जो 18 वर्ष से कम उम्र में इसकी चपेट में आते हैं, जबकि अभी 13 फीसद ऐसे हैं जिनकी उम्र 18 से कम हैं. दिल दहला देनेवाला यह आंकड़ा चिंतनीय इसलिए भी है कि अगले कुछ वर्षों में भारत दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश होगा.

युवाओं में अफीम, कोकीन, हेरोइन, शराब, भांग आदि का लेने का चलन तेजी से बढ़ा है. सफेदपोशी में होनेवाले जरायमपेशों में ड्रग्स व नशीली दवाओं की तस्करी सबसे कम रिस्क में सर्वाधिक मुनाफा देनेवाला संगठित अपराध है. मुनाफे के साथ यह अपराध की कड़ियां भी आसानी से जोड़ती है. यौनकर्म, माफिया, मानव व्यापार, हथियार, आतंकवाद और सूदखोरी को एक में पिरोने वाला धागा ड्रग ही है, जिसकी लत इंसानियत और नैतिकता के सभी मानदंडों को धुएं में उड़ा देती हैं. नशाखोरी के आईने में कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत एक नजर आता है.

बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में करोड़ों रु पये किलो वाली ड्रग्स की खपत भले ही कम हो, लेकिन गांजा, चरस, सुल्फा के उपयोग में ये राज्य ऊपरी पायदान पर हैं. बड़ी बात यह है कि इसकी गिरफ्त में सभी हैं, फिर चाहें वह राष्ट्रवादी, अलगाववादी, राजनीति के खिलाड़ी, मैदान के खिलाड़ी हों या बॉलीवुड की रंगीन दुनिया के लोग. इससे पहले 2008 मुंबई बम धमाकों के आरोपी डेविड हेडली के साथ महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट की दोस्ती भी ड्रग तस्करी के चक्कर में ही हुई थी. इस मामले में मुंबई पुलिस ने राहुल से लंबी पूछताछ भी की थी. पिछले वर्ष अक्तूबर को पंजाब पुलिस ने समझौता एक्सप्रेस से 101 किलो हेरोइन और 500 राउंड गोलियां बरामद की थीं. ड्रग और गोलियां पंजाब के अटारी चेक पोस्ट के पास जांच के दौरान मिली थीं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में 101 किलो हेरोइन की कीमत 506 करोड़ आंकी गयी.

राजनीतिज्ञों और ड्रग्स माफियाओं की यारी का एक मामला दिसंबर 2012 में गोवा से उजागर हुआ. राज्य के पूर्व गृहमंत्री रवि नाइक के बेटे राय नाइक और पुलिस के गंठजोड़ से वहां ड्रग्स के कारोबार की बात सामने आयी. मुंबई पुलिस नारकोटिक्स सेल के अधिकारी जगदीश राणो कहते हैं, ‘समाज के सभी मजबूत तबके ड्रग्स की चपेट में हैं. पहले इस कालेधंधे से मिला पैसा सिर्फसिनेमा में लगता था, लेकिन अब वह प्रॉपर्टी, होटल और पर्यटन उद्योग में भी तेजी से लग रहा है, जिसमें गोवा सबसे कुख्यात है. ’ समुद्र के किनारे बसे गोवा की ख्याति ड्रग्स के सर्वाधिक इस्तेमाल के लिये है. गोवा के अंजुना बीच पर 2008 में लंदन की नाबालिग स्कॉरलेट किलिंग का रेप कर हत्या का मामला इसी ख्याति का चर्चित उदाहरण है.

भारत में गोवा ड्रग्स का पहला जाना पहचाना होलसेल सेंटर है, जिसे रूस के एक माफिया का बताया जाता है. भारत में एक स्थान से दूसरे स्थान तक ड्रग पहुंचाने की सबसे बड़ी स्रोत नाबालिग और कम उम्र लड़कियां हैं. पिछले वर्ष दिसंबर महीने में गोवा में आयोजित एक रेव पार्टी में पकड़े गये तस्कर ने पुलिस को बताया कि ‘कूरियर के तौर पर कम उम्र लड़कियों के इस्तेमाल में पुलिस को सिर्फ 75:25 की ही सफलता मिल पाती है, जबकि वयस्कों के मामले में यह फीसद 60:40 का है. स्कारलेट का उपयोग भी इसी मकसद से अंतरराष्ट्रीय तस्करों ने किया था. नाबालिगों के पकड़े जाने पर बाल कानून के तहत उन्हें दो साल से अधिक की सजा नहीं होती, जबकि वयस्कों के लिए न्यूनतम सजा 10 साल है. कई बार ड्रग्स नियंत्रण में लगे निकायों ने नाबालिग की उम्र 18 की बजाय 16 वर्ष तक ही निर्धारित करने की मांग की, लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि भारत ने विश्व मानवाधिकार कानूनों के समझौते पर हस्ताक्षर कर रखा है, जो इसकी इजाजत नहीं देते.’
गोवा के बाद दिल्ली, बेंगलुरुव कुल्लू मनाली में सबसे ज्यादा ड्रग्स की खपत है. खपत का एक बडा सेंटर नगालैंड और मणिपुर की राजधानियां भी हैं. तस्करों के मुताबिक गोवा में जो कुल ड्रग्स पहुंचता है, उसमें 70 फीसद की विदेशों में तस्करी होती है और 30 फीसद की खपत वहां होनेवाली रेव पार्टियों और पर्यटकों के बीच होती है. गोवा से सबसे ज्यादा ड्रग्स थाईलैंड को तस्करी की जाती है. गोवा में ड्रग्स तस्करी के केंद्रों में अंजुना, वागातोर और बागा बीच प्रमुख हैं. यहां होने वाली पार्टियों में प्रचिलत ड्रग सीवी-1 के टैबलेट हैं.

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक, वर्ष 2008 के जून अंत में दिल्ली पुलिस ने दिल्ली गेट के पास से एक नौजवान ड्रग्स तस्कर राहुल (बदला हुआ नाम) को हेरोइन के पैकेट के साथ गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के बाद तीस हजारी अदालत में आरोपी ने बताया कि उसे हेरोइन का एक पैकेट पहुंचाने के लिए सीलमपुर में रहने वाले उसके पड़ोसी गनी (बदला हुआ नाम) ने 10 हजार रु पये देने को कहे थे. गनी ने पुलिस को बताया, ‘एक महिला ने इस पैकेट को पहुंचाने के बदले 15 हजार देने को कहा था. लेकिन मैंने राहुल से पैकेट पहुंचाने का सौदा 10 हजार में तय कर दिल्ली गेट भेज दिया.’ पुलिस ने गनी की निशानदेही पर महिला को गिरफ्तार किया. महिला के मुताबिक, ‘मैंने गनी को पैकेट पुलिस के दबाव में दिया था. पैकेट थमाने के बाद मैंने पुलिस को फोन कर बताया कि वह गनी को गिरफ्तार कर ले, लेकिन गनी भी तेज निकला. उसने मेरे बेटे राहुल से ही सौदा कर लिया और वह पकड़ा गया. जब तक मुङो पता चला कि मेरा बेटा ही पकड़ा गया है, पुलिस केस दर्ज कर चुकी थी.’ महिला ने बताया, ‘वह इस धंधे को एंटी-नारकोटिक्स पुलिस की मदद से ही कर पाती है. तस्करी में लगे लोगों को बीच-बीच में पकड़वाना सामान्य रूटीन है. ’ हम आमतौर पर नये लोगों या धंधे में दुश्मन तस्करों को गिरफ्तार कराते हैं. इससे धंधा और पुलिसिया कार्वाई दोनों को आसानी होती है. ऐसे में साफ हो जाता है कि भारत में कड़े कानूनों के बावजूद तस्करों को मिलने वाली सजा का फीसद 10 से अधिक क्यों नहीं है?

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दीपक सिंह कहते हैं, ‘पुलिस न सिर्फ तस्करी में सीधे लगी है, बल्कितस्करों की गिरफ्तारी के वक्त नियमों का पालन न कर उन्हें कोर्ट से बरी होने का पूरा मौका देती है.’ कर्नाटक में ड्रग्स अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, कंप्यूचिमा और थाईलैंड से आ रहा है, जिसे मैंगलोर, बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई, गोवा और हैदराबाद में वितरित किया जा रहा है. वहीं अफीम मुख्यत: बिहार और उत्तर प्रदेश से आ रहा है. कर्नाटक में 320 किलोमीटर का समुद्री इलाका होने के कारण तस्करी पर रोक मुमिकन नहीं हो पा रहा है. पिछले पांच वर्षों में वहां की सरकार ने 1985 मुकदमें दर्ज किये हैं और 1588 तस्करों को गिरफ्तार किया गया है. इसके साथ ही बूट पॉलिश, पेट्रोल, डीजल, कॅफ सीरप, वाइटनर, नींद की गोलियां और टरपेंटाइन का इस्तेमाल भी नशे की खुराक लेने वाले युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है. नशे की लत इतनी बढ़ गयी कि कर्नाटक के तत्कालीन शिक्षा मंत्री विश्वेश्वर राव हेगड़े को बाकायदा स्कूलों में शिक्षकों के बीच सर्कुलर जारी करना पड़ा कि वह बच्चों में नशे की लत में पड़ने से रोकने के लिए उन्हें जागरूक करें. इनमें से सभी का उपयोग अलग-अलग मानिसक उद्दीपन के लिए होता है. किसी को लेने से आप खुशी से झूमते हैं तो किसी को लेने के बाद अवसाद में जाते में हैं. कुछ दिल की धड़कन बढ़ा कर आपको अवचेतन में डाल देते हैं तो कुछ संवेदनहीन बना देते हैं. रही बात इनसे होनेवाली बीमारियों की, तो सबसे बड़ी बीमारी लत ही है. ड्रग्स की लत कुछ को पुनर्वास केंद्रों पहुंचाती है, लेकिन ज्यादातर को मौत के मुंह में धकेल देती हैं. लत इतनी गहरी होती है कि नहीं मिलने पर अट्टालिकाओं का आदमी सड़क पर धूल फांकता नजर आता है. वर्ष 2007 में दिल्ली की सड़कों पर नशेड़ियों की जमात में मिलीं पूर्व मॉडल गीतांजलि नागपाल इसकी एक उदाहरण हैं.

ड्रग्स के धंधे की रोकथाम के उपायों को देखें तो अमेरिका, चीन और अरब देशों में पकड़े जाने पर फांसी तक की सजा है, जबकि भारत में ड्रग तस्करी की सजा 10 वर्ष की कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की है. पिछले वर्ष जून में चीन ने अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स निरोधक दिवस पर 17 तस्करों को फांसी की सजा सुनायी. वहां अब तक 117 लोगों को ड्रग्स तस्करी में फांसी की सजा हो चुकी है. इसके बावजूद चीन में ड्रग्स का सेवन तेजी से फैल रहा है और पिछले चार वर्षों में 9.22 लाख लोगों को सुधरने के लिए आवश्यक ड्रग्स पुनर्वास शिविरों में भेजा गया है. चीन में ताइवान ड्रग व्यापार का सबसे बड़ा अड्डा है.

भारत के सबसे नजदीकी देश नेपाल में ड्रग्स खपत के दो बड़े केंद्र काठमांडू और पोखरा हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा से नेपाल के रास्ते भारत में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा तक ड्रग्स की तस्करी होती है. सीमा पार नशे के व्यापार की जकड़बंदी इस कदर है कि हर साल करीब दो सौ टन हेरोइन अफगानिस्तान से तस्करी हो पाकिस्तान के रास्ते विश्व बाजार में पहुंचती है. पाक के सीमा शुल्क के अधिकारी हबीब अहमद के अनुसार, ‘इतने बड़े स्तर पर हो रही तस्करी के मामले में जब्ती मात्र 10 फीसदी मामलों में है. वर्ष 2009 में विश्व स्तर पर करीब 500 टन हेरोइन की तस्करी हुई, जिसमें से मात्र 58 टन यानी 11 प्रतिशत की जब्ती हुई. ’ (जनज्वार डॉट कॉम से साभार)

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