बौद्धिक शिखंडीवाद से लड़े थे वे
तरुण विजय राज्यसभा सांसद, भाजपा बाबा साहेब आंबेडकर की समरसता में राष्ट्रीयता सर्वप्रमुख थी. उन्होंने बौद्ध मत अंगीकार करने से पहले देश के सभी मतों-मतांतरों का गहन अध्ययन और विश्लेषण किया था. उनके पास ईसाई और मुसलिम समाज के प्रमुख नेता अपने-अपने मतों की श्रेष्ठता सिद्ध करते हुए पहुंचे थे और हरसंभव प्रयास कर उन्हें […]
तरुण विजय
राज्यसभा सांसद, भाजपा
बाबा साहेब आंबेडकर की समरसता में राष्ट्रीयता सर्वप्रमुख थी. उन्होंने बौद्ध मत अंगीकार करने से पहले देश के सभी मतों-मतांतरों का गहन अध्ययन और विश्लेषण किया था. उनके पास ईसाई और मुसलिम समाज के प्रमुख नेता अपने-अपने मतों की श्रेष्ठता सिद्ध करते हुए पहुंचे थे और हरसंभव प्रयास कर उन्हें इस बात के लिए राजी करना चाहा था कि वे ईसाई या इसलाम मत को स्वीकार कर लें.
अंतत: आंबेडकर ने जिस भावना से बौद्ध मत अंगीकार किया, वह भारत भारती के प्रति उनकी अनन्य निष्ठा का ही परिचायक था. अपने लाखों अनुयायियों के साथ उन्होंने बौद्ध मत स्वीकार करने के बाद भी जब हिंदू कोड बिल का निर्माण किया गया, जिसे हिंदू समाज के लिए सुधारवादी एवं क्रांतिकारी विधेयक माना गया था, तो उसमें उन्होंने नवबौद्धों को शामिल किया था.
वे नहीं चाहते थे कि जो आस्थाएं भारत में जन्मी हैं और परस्पर एक-दूसरे से मिली हुई हैं, उनमें कभी भी किसी भी स्तर पर मनभेद एवं वैमनस्यता पैदा हो. वे यह भी नहीं चाहते थे कि भारत में शताब्दियों से चले आ रहे जीवन, मृत्यु एवं विवाह के परंपरागत संबंध टूट जायें.
उनके लिए भारत सर्वोपरि था. डॉ आंबेडकर की पुस्तक ‘थॉट्स ऑन पाकिस्तान’ यानी ‘पाकिस्तान के बारे में मेरे विचार’ पुस्तक में उन्होंने बहुत ही स्पष्टता एवं प्रज्ज्वलता के साथ पाकिस्तान के पीछे छिपे जहरीले सांप्रदायिक, इसलामी हिंसावादी और अतिवादियों के अभियान तथा राष्ट्रीयता की जमीन से जुड़ी मीमांसा की है.
यह बातें कम-से-कम जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय में तो जरूर बतायी जानी चाहिए. यही बात है कि आंबेडकर अपने समसामियक सभी नेताओं से अलग, िवशिष्ट एवं बड़े दिखते हैं, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें कभी महान नहीं माना.
आंबेडकर को चुनाव में हरवाने तक के कांग्रेस ने निर्देश दिये थे. ऐतिहासिक पूना पैक्ट के बाद, जो हिंदू समाज की एकता और समरसता की दिशा में बहुत बड़ा कदम माना गया, डॉ आंबेडकर की उदार हृदय वाली राष्ट्रीय भावना को पत्थर पर उकेरते हुए सिद्ध करता है. आंबेडकर ने इतना ही तो मांगा था कि सफाई कर्मचारियों को मंदिर प्रवेश के लिए अन्य सभी जातियों की तरह ही समान अधिकार मिले. लेकिन, उन्होंने मद्रास में मंदिर प्रवेश के लिए दलितों को अनुमति न देनेवाले विधेयक के पक्ष में वोट देने का निर्देश दिया और पूना पैक्ट को तोड़ा. कांग्रेस कभी नहीं चाहती थी कि उनका कद गांधीजी के समकक्ष हो जायें, जबकि कई संदर्भों में डॉ आंबेडकर का कद गांधीजी से भी बड़ा था.
जब ब्रिटेन से बैरिस्टरी पास कर आंबेडकर बड़ौदा के सयाजीराव गायकवाड विवि में नियुक्ति पाकर हॉस्टल में रहने लगे, तो छह महीने तक छात्रावास अधीक्षक आंबेडकर नाम से यह मानता रहा कि वे ब्राह्मण हैं. छह महीने बाद जब अधीक्षक को यह पता चला कि आंबेडकर महार हैं, तो रात में ही बाबा साहब का सामान कमरे से बाहर फेंक कर उन्हें बाहर निकाल दिया.
आंबेडकर फूट-फूट कर रोये कि मेरा कुसूर क्या है, केवल यही कि मैं हिंदू हूं? उन्होंने हिंदू मत में व्याप्त पाखंड व दोहरे आचरण पर तीखे आघात किये और अपने अनुयायियों की बौद्ध मत में आस्था प्रबल करने के लिए ‘िरडल्स इन हिंदूइज्म’ अर्थात् हिंदू धर्म की पहेलियां पुस्तक लिख कर देवी-देवताओं के पुराण प्रसंगों का खूब मखौल उड़ाया, पर उनकी नियत साफ थी आैर हृदय में भारत था. इसलिए इस पुस्तक पर कभी प्रतिबंध की मांग नहीं उठी.
विडंबना यह है कि आज भी देश के विभिन्न अंचलों में अनुसूचित जातियों पर वही अमानुषिक अत्याचार होते दिखते हैं, जिनसे डॉ आंबेडकर जीवनभर लड़ते रहे थे.
हर साल बाइस हजार से ज्यादा सफाई कर्मचारी सीवर की सफाई करते हुए मारे जाते हैं, जिन्हें मैंने राज्यसभा में स्वच्छता शहीद कहा, लेकिन इस पर सदन में न कोई शोर होता है और न विश्वविद्यालयों में हंगामा. यह परिस्थिति बदलनी चाहिए. तमिलनाडु में शंकर और कौशल्या विवाह करते हैं, तो शंकर इसलिए मार जाता है क्याेंकि वह दलित होता है और कौशल्या तथाकथित सवर्ण. कौशल्या का वैधव्य हिंदू समाज को चुनौती दे रहा है कि आिखर क्यों उसके पति को मरना पड़ा?
आंबेडकर के नाम पर कश्मीर के जेहाद का समर्थन करनेवाले न तो इस देश के मित्र हैं, न आंबेडकर के समर्थक, सिर्फ राजनीतिक दुकान पर आंबेडकर का बोर्ड लगाने से बौद्धिक सिखंडी तो बना जा सकता है, जिसके विरुद्ध आंबेडकर जीवन भर लड़े, लेकिन आंबेडकरवादी नहीं बना जा सकता है, क्योंकि आंबेडकर का मन और आत्मा भारत की राष्ट्रीय संस्कृति में गहरे रची-बसी है.