विलुप्त होते खाद्य पदार्थ
जितना आज हमलोगों के परिवार छोटे हो रहे है, सोच संकुचित हो रहा है, रिश्तेदार एलियन दिखने लगे हैं, ठीक वैसा ही फर्क हमारे रोजमर्रा के खानपान पर भी पड़ा है. आज मुख्यत: भोजन गेहूं-चावल-दाल, सब्जियों और फलों तक सीमित हो गया है. ऐसे कितने ही विशिष्ट खाद्य पदार्थ निरंतर अपना अस्तित्व खोते जा रहे […]
जितना आज हमलोगों के परिवार छोटे हो रहे है, सोच संकुचित हो रहा है, रिश्तेदार एलियन दिखने लगे हैं, ठीक वैसा ही फर्क हमारे रोजमर्रा के खानपान पर भी पड़ा है. आज मुख्यत: भोजन गेहूं-चावल-दाल, सब्जियों और फलों तक सीमित हो गया है. ऐसे कितने ही विशिष्ट खाद्य पदार्थ निरंतर अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं. क्योंकि, कोई खाने या उगानेवाला नहीं है.
थोड़ी-बहुत शौकिया तौर पर उगाई और खायी जा रही है. शहरों से शहतूत विरले हो चले हैं. पूरे भारत में हजारों किस्म के अनाज, साग-सब्जिया और फल की भरमार है, जो हमारी अनिभिज्ञता और लापरवाही से बरबादी के कगार पर है. इसलिए स्थितियां बद से बदतर बने, हमें हमारी संजीवनी को बचाना होगा. समय रहते उचित कदम उठाने होंगे.
सिद्धार्थ झा, ई-मेल से