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अन्ना हजारे के नाम खुली चिट्ठी

।। रामास्वामी आर अय्यर।। (पूर्व सचिव, जल संसाधन विभाग, भारत सरकार) प्रिय श्री अन्ना हजारे जी, लंबे समय से मैं आपका बड़ा प्रशंसक रहा हूं. आपने अपने गांव रालेगण सिद्धि में जैसी सामाजिक लामबंदी और नैतिक कायापलट 1980 वाले दशक में की, वह सचमुच एक नैतिक उपलब्धि थी. दो दशक बाद आपने उससे भी बड़ा […]

।। रामास्वामी आर अय्यर।।

(पूर्व सचिव, जल संसाधन विभाग, भारत सरकार)

प्रिय श्री अन्ना हजारे जी, लंबे समय से मैं आपका बड़ा प्रशंसक रहा हूं. आपने अपने गांव रालेगण सिद्धि में जैसी सामाजिक लामबंदी और नैतिक कायापलट 1980 वाले दशक में की, वह सचमुच एक नैतिक उपलब्धि थी. दो दशक बाद आपने उससे भी बड़ा एक और काम कर दिखाया. वह था देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के आंदोलन का आरंभ. इसके साथ आप एक अत्यंत महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यक्ति बन गये और आपने भ्रष्टाचार के मुद्दे को बड़ी मजबूती के साथ राष्ट्रीय एजेंडे से जोड़ दिया.

इस पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, मैं हाल की कुछ बातों से खिन्न और हताश हूं. सब लोग जानते हैं कि राजनीतिक पार्टी बनाने के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल और आप एक-दूसरे से अलग हो गये. इन मतभेदों के बावजूद आपसी आदर में फर्क न पड़े, यह संभव होना चाहिए.

आंदोलन को राजनीतिक पार्टी में तब्दील करने के बारे में आपके जो संकोच व संदेह हों, उन्हें कायम रखते हुए भी आप इतनी उदारता तो बरत ही सकते थे कि भ्रष्टाचार-उन्मूलन के लिए अरविंद केजरीवाल अपने ढंग से जो प्रयत्न कर रहे हैं उनकी सफलता के लिए शुभकामना व्यक्त करते. उनकी असरदार चुनावी जीत पर शुरू में आपने कुछ सकारात्मक बातें कहीं थीं; मगर फिर जल्दी ही आपका सुर बदल गया. आप उनकी आलोचना करने लगे. अरविंद की सफलता को छोटा करके दिखाते हुए आपने दावा किया कि अगर आपने उनके पक्ष में चुनाव-प्रचार किया होता तो उनकी और भी भारी विजय हुई होती. आम आदमी पार्टी के चुनाव फंड के बारे में आपने परोक्ष रूप से शंका व्यक्त की और फोटो खिंचवाने कैमरा के सामने आ रहे लोगों के बारे में अवहेलनापूर्ण टिप्पणी की. इन सब आक्रमणों का सुर और लहजा आपके स्वभाव से मेल नहीं खाता. क्या आपका प्रशंसक होने के नाते मुङो आपसे अनुरोध करने की छूट है कि आप इन चुनौतियों से ऊपर उठें और अपनी स्वभावगत उदारता पर वापस लौट आएं?

आप लोकपाल विधेयक पर (जो कि अब लोकपाल कानून होने वाला है) न केवल समझौता करने, बल्कि उत्साह के साथ समझौता करने को राजी हो गये हैं. साल भर पहले आपका जो रुख था, उसमें यह जो भारी परिवर्तन हुआ है, उसे मैं समझ नहीं पा रहा हूं. जन लोकपाल विधेयक के बारे में साल भर पहले आपका जो रुख था, आम आदमी पार्टी उस पर अब भी स्थिर है. मेरी अपनी राय यह है कि जो लोकपाल विधेयक पारित हो गया है, वह भले ही कितना भी अपूर्ण क्यों न हो, एक उपयोगी शुरुआत है और निश्चय ही एक ऐतिहासिक घटना है. फिर भी आम आदमी पार्टी को अपनी अलग राय रखने का अधिकार है.

ऐसा प्रतीत होता है कि इस कानून के पारित होने को आप अपनी वैयक्तिक जीत मानते हैं. इस दावे पर कोई आपत्ति नहीं करना चाहेगा. तो भी, हाल के विधानसभा चुनाव में जो भारी उलटफेर हुआ, उसके कारण राजनीतिक पार्टियों के सोच में बदलाव आया. लोकपाल विधेयक को पारित करने के लिए राजनीतिक पार्टियां जो एकाएक तैयार हो गयीं, उसके पीछे बहुत हद तक यही कारण था. इस तरह आम आदमी पार्टी की चुनावी कामयाबी का इस परिवर्तन से कुछ संबंध है, भले ही आम आदमी पार्टी कानून की आलोचना करती हो.

कई परिस्थितियों के सम्मिलन से लोकपाल कानून झटपट पारित हुआ. यह ऐसी घटना थी जिसकी कल्पना भी कुछ समय पहले तक नहीं की जा सकती थी. भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन बहुत महत्वपूर्ण है. यह छाप नहीं पड़ने दी जानी चाहिए कि इस आंदोलन में फूट पड़ गयी है. दुर्भाग्यवश, मुङो ऐसा लगता है कि आप एक महान क्रांति को आरंभ करने के बाद अपने ही एक विश्वस्त सहकारी पर आक्रमण करके उस क्रांति को कमजोर कर रहे हैं, जबकि वह सहकारी अब भी आपका शिष्य है- यद्यपि आप उसका परित्याग कर चुके हैं. बेशक उसने अपनी अलग राह चुनी है, पर भ्रष्टाचार-विरोधी संग्राम में आप और वह एक ही पक्ष के हैं. खुद आम आदमी पार्टी आपके ही शुरू किये हुए आंदोलन की एक शाखा है. अगर आम आदमी पार्टी (लोकपाल कानून को कमजोर मानते हुए भी) संसद द्वारा उस कानून के पारित किये जाने के श्रेय में हिस्सेदारी का दावा कर सकती है तो आप भी यह दावा कर सकते हैं कि आम आदमी पार्टी की चुनावी कामयाबी एक हद तक आपकी कामयाबी है; क्योंकि वह पार्टी आपके शुरू किये हुए आंदोलन का परिणाम है. अगर इस बात को ध्यान में रखा जाये तो बहुत-सी गलतफहमी दूर हो जायेगी. मेरी यह अपील जितनी आपसे है, उतनी ही अरविंद केजरीवाल से भी.

श्रद्धापूर्वक प्रणाम, भावनापूर्ण आदर एवं शुभकामना के साथ.

आपका, रामास्वामी आर अय्यर

(मूल स्रोत : द हिंदू/ 23 दिसंबर, 2013, अनुवाद : नारायण दत्त)

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