2011 की जनगणना के अनुसार, हमारे राज्य झारखंड में साक्षरता दर 67.63 है, जो एक चिंतनीय विषय है. शिक्षा के विकास के लिए कई कदम उठाये गये, पर सफलता अब भी बहुत दूर दिख रही है. इसका मुख्य कारण हमारी लाचार और भ्रष्ट सरकारी संरचना है.
शिक्षा के विकास का अंतिम रास्ता बस यही बचा है कि पूरे राज्य में यह नियम लागू किया जाना चाहिए कि जो भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में है, चाहे वह कलेक्टर हो या प्रशासनिक अधिकारी या कोई अन्य कर्मचारी, सभी के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़ेंगे. और जिनके बच्चे सरकारी स्कूल में न पढ़ें, उन्हें सरकारी नौकरियों से निकाल दिया जाए. सभी लोग समझ सकते हैं कि ऐसे में सरकारी स्कूलों की अहमियत बढ़ जायेगी. शिक्षक समय पर आयेंगे और अपने काम के प्रति निष्ठावान होंगे. तब इन स्कूलों में शिक्षा का स्तर बढ़ जायेगा.
देव कुमार वर्मा, धनबाद