बंदे हैं हम उसके, हम पे किसका जोर/ उम्मीदों के सूरज, निकले चारों ओर-फिल्म ‘धूम 3’ की ये पंक्तियां आधुनिक मार्टिन लूथर किंग अरविंद केजरीवाल पर बिलकुल सटीक बैठती हैं. पारंपरिक राजनीतिक दलों की रूढ़िवादी नीतियों के विपरीत इस जननायक ने आम लोगों में स्वयं के प्रति एक अद्भुत विश्वास जगाया है.
भ्रष्टाचार तथा महंगाई से त्रस्त जनता की नयी उम्मीद बन कर उभरे इस नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री ने राजनीति की परिभाषा ही बदल के रख दी. पहले चुनावी समर में ऐतिहासिक जीत के साथ मुख्यमंत्री बने केजरीवाल ने सादगी से परिपूर्ण जीवन शैली से आम जनमानस का मन मोह लिया. लाल बत्ती का उपयोग न करना, जनता दरबार का आयोजन, सरकारी आवास तथा सुरक्षा का इस्तेमाल न करना अन्य राजनीतिक बाहुबलियों के लिए एक सबक है.
महेंद्र कुमार महतो, नावागढ़