पक्के इरादों का लाल, केजरीवाल
आम आदमी सा दिखनेवाला एक लो-प्रोफाइल शख्स, जिसकी आवाज में न तो बुलंदी है और न ही वह अपने लच्छेदार भाषणों से लोगों को सम्मोहित करने में माहिर है, बावजूद इसके भारत के दिल में समा कर आज जिस प्रकार उसने लोगों का प्यार बटोरा है, ऐसा लगता है कि आनेवाले समय में भारतीय राजनीति […]
आम आदमी सा दिखनेवाला एक लो-प्रोफाइल शख्स, जिसकी आवाज में न तो बुलंदी है और न ही वह अपने लच्छेदार भाषणों से लोगों को सम्मोहित करने में माहिर है, बावजूद इसके भारत के दिल में समा कर आज जिस प्रकार उसने लोगों का प्यार बटोरा है, ऐसा लगता है कि आनेवाले समय में भारतीय राजनीति की दशा व दिशा ही बदल जायेगी.
कहते हैं, असाधारण लोग कोई अलग कार्य नहीं करते, बल्कि उसी कार्य को अलग ढंग से करते हैं. अरविंद केजरीवाल उन्हीं असाधारण लोगों में हैं, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को न केवल अपना लक्ष्य बनाया, अपितु इसकी शुरुआत भी उसी राजस्व विभाग से की, जहां वे कार्यरत थे.
सूचनाधिकार व जनलोकपाल आंदोलनों के बूते उन्होंने न केवल अपनी अलग राष्ट्रीय पहचान बनायी, बल्कि सोशल साइट्स का बखूबी इस्तेमाल कर खुद को पूरी तरह से एक मैकेनिकल इंजीनियर से सोशल इंजीनियर के रूप में परिणत कर डाला.
अरविंद ने अपनी गैर पारंपरिक रणनीतियों और पक्के इरादों के बल पर जहां 15 वर्षो से सत्ता सुख भोग रहे कांग्रेसियों को उखाड़ फेंका, वहीं भाजपा को भी सत्ता में आने से रोका.
केजरीवाल की सफलता-असफलता के कयास लगाये जा सकते हैं, बहुतेरे उदाहरण भी दिये जा सकते हैं, मगर कोई इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकता कि जाति, धर्म और क्षेत्रवाद से ऊपर उठ कर जिस तरह एक आम शख्स की सवा साल पुरानी पार्टी ने सवा सौ साल पुरानी पार्टी को चुनावी पटखनी दी, वह अभूतपूर्व है.
उम्मीद है कि अरविंद दिल्ली के सीएम के रूप में जनता की बुनियादी समस्याओं को दूर करने का वो तरीका निकालें जिससे अन्य पार्टियों को एक सबक मिल सके.
रवींद्र पाठक, जमशेदपुर