केंद्र की लापरवाही से राज्य पर बोझ
राज्य सरकार ने एनएच-33 (रांची-जमशेदपुर-बहरागोड़ा सड़क) की मरम्मत कराने का फैसला किया है. इसके लिए टेंडर निकालने का आदेश भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दे दिया है. उन्होंने जनता की परेशानी को देखते हुए यह निर्णय लिया है. यह राष्ट्रीय राजमार्ग है और इसलिए इसकी देख-रेख की जिम्मेवारी केंद्र की है. यह सड़क फोर लेन […]
राज्य सरकार ने एनएच-33 (रांची-जमशेदपुर-बहरागोड़ा सड़क) की मरम्मत कराने का फैसला किया है. इसके लिए टेंडर निकालने का आदेश भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दे दिया है.
उन्होंने जनता की परेशानी को देखते हुए यह निर्णय लिया है. यह राष्ट्रीय राजमार्ग है और इसलिए इसकी देख-रेख की जिम्मेवारी केंद्र की है. यह सड़क फोर लेन बन रही है. लेकिन अभी इसकी हालत इतनी खराब है कि चलना मुश्किल है. रांची से जमशेदपुर जाने में चार घंटे लग रहे हैं. सड़क पर इतने बड़े-बड़े गड्ढे हैं कि वाहन फंस जा रहे हैं. राजनीतिक दलों ने आंदोलन किया.
राज्य सरकार ने भी केंद्र को पत्र लिखा, लेकिन कुछ नहीं हुआ. अंतत: मजबूर होकर राज्य सरकार ने अपने खर्च से इसे बनाने का निर्णय लिया है. इस पर 80 करोड़ रुपये खर्च होंगे. अगर केंद्र यह काम कराता, तो राज्य का यह पैसा बचता और इसका उपयोग किसी अन्य विकास कार्य में किया जा सकता था.
लेकिन केंद्र ने अपनी जिम्मेवारी नहीं निभायी. झारखंड में कई ऐसी सड़कें हैं जो राज्य के अधीन हैं और उनकी हालत जजर्र है. ऐसी अधिकतर सड़कें दूरदराज की हैं. इन्हें भी ठीक कराया जाना चाहिए. अन्य जगहों को तो जाने दीजिए, रांची शहर की सड़कों का हाल भी बहुत अच्छा नहीं है.
विकास (ओरमांझी के पास) से कांटाटोली तक सड़क अच्छी स्थिति में नहीं है. पहले यह एनएच के अधीन थी. इस सड़क के दोनों ओर कभी सैकड़ों पेड़ थे. सभी काट दिये गये, ताकि सड़क चौड़ी हो और जाम से मुक्ति मिले. पेड़ कट गये, काम नहीं हुआ. तीन साल बीत गये हैं.
इसी सड़क पर एक पुल है जिसकी चौड़ाई सड़क से कम है. इससे कई वाहन नीचे गिर चुके हैं. पर इस पुल को चौड़ा नहीं किया गया. एनएच-33 की मरम्मत का प्रयास सराहनीय है, लेकिन इसके साथ ही साथ उन सड़कों पर भी गौर करना चाहिए जहां की स्थिति बहुत खराब है.
सच यह है कि जहां के विधायक-सांसद ताकतवर हैं, अपनी बात रखने में आगे रहते हैं, वहां काम हो जाता है. जहां के जन-प्रतिनिधि चुप रहते हैं, वहां की जनता को खमियाजा भुगतना पड़ता है. बाहर के राज्यों में किसी राज्य की छवि सड़क से ही बनती है. बेहतर होगा कि राज्य सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाये.