‘हैप्पी न्यू इयर’ का पहला-पहला दिन

।। अखिलेश्वर पांडेय ।। प्रभात खबर, जमशेदपुर नया साल शुरू हो चुका है. हमने भी इसके स्वागत की तैयारियां कर रखी थीं. मोबाइल में संक्षिप्त संदेश सेवा अर्थात् एसएमएस के वाउचर भरवा लिये. सोचा कुछ को फोनियायेंगे, कुछ को अपनी तरफ से संदेशा भेजेंगे. बाकी जिसका जैसा होगा, वैसा ही ‘थैंक यू’, ‘सेम टू यू’ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2014 5:01 AM

।। अखिलेश्वर पांडेय ।।

प्रभात खबर, जमशेदपुर

नया साल शुरू हो चुका है. हमने भी इसके स्वागत की तैयारियां कर रखी थीं. मोबाइल में संक्षिप्त संदेश सेवा अर्थात् एसएमएस के वाउचर भरवा लिये. सोचा कुछ को फोनियायेंगे, कुछ को अपनी तरफ से संदेशा भेजेंगे. बाकी जिसका जैसा होगा, वैसा ही ‘थैंक यू’, ‘सेम टू यू’ वगैरह जवाब दे देंगे. कुल मिला कर, नये साल के इस संदेशिया युद्ध में मुकाबले के लिए हम कमर कस कर तैयार थे. दो दिन पहले से ही, सभी हथियारों से लैस होकर. जब नया साल आया, तो सबसे पहला गच्चा संदेश वाउचर ने दिया.

हमारे एक मित्र का संदेश आया. संदेश की अंग्रेजी इतनी कड़क और मुलायम एक साथ कि हमें लगा कि न तो इसे हमारे मित्र ने भेजा है और न ही यह हमारे लिए है. बहरहाल, हमने उसे श्रद्धापूर्वक पढ़ कर थैंक यू, सेम टू यू के साथ कुछ और शुभ-शुभ अंग्रेजी नत्थी करके भेज दिया. अच्छे आगाज से हम खुश होने ही वाले थे कि मोबाइल बैलेंस से पैसे कटने का संदेशा आ गया.

मोबाइल की जेब से एक रुपये निकल गया था. जानकारी की, तो पता चला कि नये साल के मौके पर संदेश वाउचर काम नहीं करता. हमने कहा-हत्तेरे की. इस पूछाताछी में दो रुपये का चूना और लग गया.

अपनी स्थायी सलाहकार यानी श्रीमतीजी के सुझाव पर, जिसके-जिसके संदेशे आये थे उन सबको फोनियाना शुरू किया. सोचा जहां खर्चा वहां सवा खर्चा. कौन नया साल रोज-रोज आता है. कुछ फोन फौरन मिल गये. जिसका फोन नहीं मिला वो बड़ा भला लगा. हालांकि ऐसे फोन दुबारा भी मिलाये.

लेकिन मन में डर हमेशा लगा रहा कि कहीं फोन मिल न जाये. जब कोई फोन नहीं मिला तो पहले तो सुकून की सांस ली. फिर उसको नये साल का संदेशा भेजा. मोबाइल से संदेशे के पैसे जैसे ही कटे वैसे ही उसका शुभकामना संदेश मन के इनबाक्स में सुरक्षित करके मोबाइल से डिलीट कर दिया.

कुछ संदेशे ऐसे आये भी आये थे जिनसे भेजनेवाले का पता नहीं चला. इसके पीछे हमारा भी दोष है. पिछले साल हमारे मोबाइल ऐसे बदले जैसे कि हर साल के संकल्प बदलते हैं. दरअसल, मैसेज भेजनेवाला आत्मविश्वास से इतना लबरेज होता है कि अपना नाम तक नहीं लिखता और एक हम हैं उसका नंबर भी मोबाइल में सेव नहीं कर रखा. सॉरी मित्रो!

श्रीमतीजी ने रोज की तरह पूछा, क्या खाओगे? मैंने भी रोज की ही तरह जवाब दिया, जो पसंद हो वही बना लो. बहरहाल, इसी तरह नये साल का पहला दिन बीत गया. इसी तरह साल भी बीत जायेगा. नये साल के अवसर पर कोई संकल्प न लेने का संकल्प, हम पहले ही कर चुके थे.

उसी को निभाया. इस बीच शुभकामना संदेश आते जा रहे थे. फोन लाइन व्यस्त रहने का बहाना खत्म हो गया है. नया साल तीन दिन पुराना हो गया है. ये तो रहे हमारे नये साल के किस्से. आपका कैसा बीता, नये साल का पहला दिन?

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