पक्का हो नये साल का संकल्प

हम अक्सर कोई कसम खाते हैं कि कल से अमुक काम करना है, या नहीं करना है. जैसे, अधिकतर छात्र मन में फैसला करते हैं कि सोमवार से लगातार पढ़ाई करनी है. पर आज तो शुक्र वार है, जितनी मस्ती करनी है एक-दो दिन कर लेते हैं. फिर तो पढ़ना ही है सोमवार से. मन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2014 5:04 AM

हम अक्सर कोई कसम खाते हैं कि कल से अमुक काम करना है, या नहीं करना है. जैसे, अधिकतर छात्र मन में फैसला करते हैं कि सोमवार से लगातार पढ़ाई करनी है. पर आज तो शुक्र वार है, जितनी मस्ती करनी है एक-दो दिन कर लेते हैं. फिर तो पढ़ना ही है सोमवार से.

मन ही में रोजाना की दिनचर्या तैयार कर ली. सुबह चार बजे उठना है. फिर फ्रेश होना, फिर स्वाध्याय, फिर कसरत फिर ये, फिर वो. हर चीज का समय तय. नये रूटीन के नाम पर रविवार तक और मस्ती हुई.

मानो रविवार को रात के 12 बजते ही एकदम से बदल जायेंगे हम. सोमवार की सुबह अलार्म बजा. अब रोज आठ बजे उठनेवाला बंदा कैसे चार बजे उठे! सो आंखें बंद रहीं और हाथ स्वत: अपनी कर्कश आवाज से चिढ़ाते हुए अलार्म के बटन पर.

फिर सात बजे के बाद ही नींद खुली. ओह शिट! इतना लेट. उफ, पिछले तीन दिन भी बर्बाद हो गये, इस ‘वन टाइम रेजोल्यूशन’ के चक्कर में. फिर दो- तीन असफल प्रयास और किये. चार बजे तो नहीं जग सके, लेकिन आठ बजे से पहले जरूर जगना शुरू कर दिया. हां, उस दिन मैंने दिन में ही अच्छी पढ़ाई की, क्योंकि एक खास दिन से एक खास शुरुआत के नाम पर तीन दिन जाया किया था.

कई लोग सालों से रेजोल्यूशन (संकल्प) लेते आ रहे हैं, सिर्फ उसे तोड़ने के लिए. अब तो कई लोग इसमें भी प्रदर्शन करने लगे हैं. मैंने इस बार ये रेजोल्यूशन लिया, तुमने क्या सोचा? कोई फेसबुक पर अपडेट कर रहा है, तो कोई कहीं और. इसका मतलब यह नहीं कि रेजोल्यूशन नहीं लें, बल्कि दिखावे से बचना चाहिए. हमें अच्छे कार्यो के लिए किसी शुभ दिन या मौके का इंतजार नहीं करना चाहिए. उसके लिए उचित समय अभी है. अभी नहीं, तो कभी नहीं.

सुमन सौरभ, रांची

Next Article

Exit mobile version