दिल्ली में सरकार बनाने के बाद अब आम आदमी की शक्ति को अग्नि कुंड से गुजरना होगा. कल तक सरकार बनाने तथा जनतंत्र की भावना का सम्मान करने की सलाह देनेवाली भाजपा आज पलट कर उन्हें अवसरवादी कहने लगी है.
इधर ‘आप’ को समर्थन देकर सरकार गठन में सहयोग करनेवाली कांग्रेस पार्टी सरकार गठन होते ही आंखें तरेरने लगी है. यानी दोनों राष्ट्रीय पार्टियां ‘नागनाथ’ और ‘सांपनाथ’ की भूमिका में आम आदमी पार्टी को लील जाना चाहती हैं.
केजरीवाल को अपने साथियों के साथ मिल कर इनके विषदंत उखाड़ने ही होंगे, ताकि हमारा आमतंत्र सुरक्षित रह सके.
केजरीवाल सरकार को निम्न आवश्यक एहतियात बरतने की जरूरत है:-
1. मंत्रिमंडल का कोई भी सदस्य बड़बोला न बने.
2. सर्वप्रथम जनता की बुनियादी समस्यायों के समाधान की ओर ध्यान लगाना चाहिए ताकि भ्रष्टाचार के आगोश में घुट रही जनता को त्रण मिल सके.
3. दिल्ली में उद्दाम हो गयी लालफीताशाही पर तुरंत लगाम लगाने की जरूरत है.
4. बिजली, पानी, रोजगार और आवास के परिप्रेक्ष्य में किये गये सारे वादों को तुरंत अमल में लाना चाहिए, ताकि आम आदमी को सुकून मिले और राजनीतिक पार्टियों के षड्यंत्र को करारा झटका लगे.
5. एक अधिकृत मीडिया-प्रभारी की नियुक्ति होनी चाहिए जो शब्द-संयम का जादू जानता हो और पार्टी द्वारा तैयार की गयी नीतियों को स्पष्टता से रख सके.
6. जितनी जल्दी संभव हो विकास का काम शुरू करें. पिछली सरकारों के भ्रष्टाचार की जांच को द्वितीयक श्रेणी में रखना चाहिए. जांच निष्पक्ष और पारदर्शी हो. सोच-समझ कर कदम उठायें क्योंकि एक छोटी-सी गलती भी अविश्वास प्रस्ताव का कारण बन सकती है.
डॉ कृष्ण मुरारी सिंह, मैथन, धनबाद