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सादगी का मौसम है, जरा बच के!

।। अखिलेश्वर पांडेय ।। प्रभात खबर, जमशेदपुर जब से दुनिया में भ्रष्टाचार ने जोर पकड़ा है, ईमानदार मिलने कम हो गये हैं. दुर्लभ प्रजाति के माने जाने लगे ईमानदार लोग. आम धारणा है कि अगर आज के जमाने में कोई ईमानदार है, तो इसका मतलब उसको बेईमानी करने के उचित अवसर नहीं मिले या उसकी […]

।। अखिलेश्वर पांडेय ।।

प्रभात खबर, जमशेदपुर

जब से दुनिया में भ्रष्टाचार ने जोर पकड़ा है, ईमानदार मिलने कम हो गये हैं. दुर्लभ प्रजाति के माने जाने लगे ईमानदार लोग. आम धारणा है कि अगर आज के जमाने में कोई ईमानदार है, तो इसका मतलब उसको बेईमानी करने के उचित अवसर नहीं मिले या उसकी दिमागी असेंबलिंग में कुछ चूक रह गयी है जिसका खमियाजा उसको ईमानदारी की जिंदगी बसर करके भुगतना पड़ रहा है.

पर हाल के दिनों में अचानक ईमानदारी और सादगी की हवा चल पड़ी है. सरदी के मौसम में ठंड भले ही हिमालय में बर्फबारी के बाद जोर पकड़ती हो, पर दिल्ली में ‘आप’ की लहर ने पूरे देश में सादगी और ईमानदारी के फैशन की लहर पैदा कर दी है.

जिसे देखो वही ईमानदार बनने या दिखने की कोशिश करते दिख रहा है. कोई कैसे बताये भाई लोगों को कि ईमानदारी कोई गर्व का विषय नहीं है. वह तो होनी ही चाहिए. सार्वजनिक जीवन की मूल आवश्यकता है ईमानदारी. ‘आप’ का असर पूरे देश में देखने को मिल रहा है.

जिसे देखो वही अपनी ‘एक्स्ट्रा’ सुरक्षा, ‘एक्स्ट्रा’ सुविधाएं लौटाने को आतुर दिख रहा है. लाल बत्ती से कइयों ने परहेज करना शुरू कर दिया है.

आनन-फानन में सरकारें ईमानदार नौकरशाहों को जिम्मेदारी के काम सौंपने में लगी हैं. किसी को सरकारी बंगला बड़ा लगने लगा है, तो किसी को अपने आसपास सुरक्षा गार्डो की उपस्थिति खलने लगी है.

‘वीआइपी कल्चर’ खतम करने की मुनादी हो गयी है. घोषणा सुनते ही ‘वीआइपी कल्चर’ बेचारा कहीं कोने में मुंह लटकाये खड़ा ‘सादगी की सरकार’ के कारनामे देख रहा है. यह सब देखना-समझना और महसूस करना हर धरतीवासी के लिए अच्छा अनुभव है. पर इस सबके परे मुङो अगले क्रिसमस की चिंता सता रही है. क्या होगा बच्चों का और बच्चों के चहेते सांता क्लॉज का. चूंकि सांता भला आदमी लगता है. सादगी पसंद भी.

सालों से एक ही ड्रेस से काम चला रहा है. ऐसे कपड़े सिलवाये कि सालों पहनने के बाद भी नये बने हुये हैं. दाढी तक नहीं बनाता. रेजर, ब्लेड और सेविंग क्र ीम के पैसे बचा कर बच्चों में गिफ्ट बांट देता है. जब से लोकपाल कानून बना तब से मुङो सांता क्लॉज की चिंता सता रही है.

लोकपाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफजांच करने का वायदा किया है. मुङो डर है कि सांता क्लॉज की भलमनसाहत से जलने वाला कोई सांता की शिकायत न कर दे लोकपाल से कि इसके पास इत्ता पैसा कहां से आता है जो ये हर साल दुनिया भर के बच्चों को उपहार बांटता रहता है.

बड़ी बात नहीं कि शिकायत की जांच के लिये कोई दारोगा सांता को थाने में बैठा ले और उसके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा ठोंक दे. मुङो डर है कि कहीं सादगी-ईमानदारी के इस ‘खेल’ में सांता क्लॉज के साथ ‘गेम’ न हो जाये.

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