आंबेडकर की प्रासंगिकता

संविधान के शिल्पकार भीमराव आंबेडकर अगर जीवित होते, तो वे आज देश के हालात से निराश होते़ जिस भारत को संवारने के लिए वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी, वहां लोग देश की एकता और अखंडता को तोड़ने पर आमादा नजर आते हैं. बाबा साहेब विभेद-रहित समाज का स्वप्न देखते थे. वे स्त्री-शिक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 15, 2016 7:37 AM

संविधान के शिल्पकार भीमराव आंबेडकर अगर जीवित होते, तो वे आज देश के हालात से निराश होते़ जिस भारत को संवारने के लिए वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी, वहां लोग देश की एकता और अखंडता को तोड़ने पर आमादा नजर आते हैं. बाबा साहेब विभेद-रहित समाज का स्वप्न देखते थे.

वे स्त्री-शिक्षा के हिमायती थे. उनका कहना था कि एक समुदाय की प्रगति का माप महिलाओं की प्रगति से होता है. शिक्षा के प्रति उनका दृष्टिकोण व्यापक था. आंबेडकर भारत रत्न हैं. वे देश के नेता थे. उन्हें बांटा न जाये. वे आज भी प्रासंगिक हैं.

सुधीर कुमार, गोड्डा

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