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राज्य अपनी कार्य संस्कृति भी सुधारे

बार-बार विकास में पिछड़ने का रोना रोनेवाले झारखंड का सच किसी से छिपा नहीं है. रांची, जमशेदपुर और धनबाद जैसे बड़े और महत्वपूर्ण शहरों में कई विकास योजनाएं वर्षो से लंबित हैं. कई शहरों में बड़े प्रोजेक्ट इसलिए लटके पड़े हैं, क्योंकि सरकार के पास उसकी फाइल कहीं धूल फांक रही है. इन दिनों 14वें […]

बार-बार विकास में पिछड़ने का रोना रोनेवाले झारखंड का सच किसी से छिपा नहीं है. रांची, जमशेदपुर और धनबाद जैसे बड़े और महत्वपूर्ण शहरों में कई विकास योजनाएं वर्षो से लंबित हैं. कई शहरों में बड़े प्रोजेक्ट इसलिए लटके पड़े हैं, क्योंकि सरकार के पास उसकी फाइल कहीं धूल फांक रही है. इन दिनों 14वें वित्त आयोग की टीम राज्य के दौरे पर है.

झारखंड 1.43 लाख करोड़ रुपये की सहायता मांगना चाह रहा है. इसमें कोई दो राय नहीं कि केंद्र से वित्तीय मदद राज्यों का हक है और यह मिलना भी चाहिए. पर दुख होता है, जब राज्य सरकार की उदासीन कार्य संस्कृति सामने आती है. मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों की शिथिलता की वजह से विकास योजनाओं की फाइलें 10-10 वर्षो तक लंबित रहती हैं. इसका खमियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ता है. जमशेदपुर को नये एयरपोर्ट के बिना कितना नुकसान हो रहा है, यह सबको मालूम है.

ईस्टर्न कॉरिडोर के निर्माण में हो रहे विलंब के कारण शहर के लोगों को यातायात की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है. सड़क हादसों का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है. वेंडर्स पार्क नहीं होने के कारण छोटे निवेशक जमशेदपुर जैसे बड़े औद्योगिक शहर से मुह मोड़ रहे हैं. टाटा मोटर्स और अन्य सहयोगी इकाइयों में उत्पादन प्रभावित हो रहा है. इसका असर इन कंपनियों में काम करनेवालों पर तो पड़ ही रहा है, शहर पर भी इसका दूरगामी प्रभाव होगा. दो टूक बात है, किसी भी शहर का भविष्य, वहां के लोगों की खुशहाली, वहां बन रहे इंफ्रास्ट्रर पर ही निर्भर करता है.

इस प्रकार देखा जाये तो झारखंड के सभी शहरों की दुर्गति ही है. सड़कें खस्ताहाल हैं, बिजली की समस्या से रोज दोचार होना पड़ता है. स्वास्थ्य, शिक्षा, भवन निर्माण और कृषि आदि सभी विभागों में कमोबेश एक जैसे हालात हैं. कहने का अभिप्राय यह कि केवल वित्तीय सहायता से विकास कतई नहीं होगा. इसके लिए राज्य सरकार को अपनी कार्य संस्कृति सुधारनी होगी, संकल्प शक्ति बढ़ानी होगी. वह जज्बा दिखाना होगा जिससे कि सरकारी मशीनरी की शिथिलता खत्म हो और इस सिस्टम में कार्य कर रहे सभी मंत्रियों, कर्मचारियों-अधिकारियों में एक करंट दौड़े. तभी राज्य का भला हो पायेगा.

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