दिल्ली की क्षेत्रीय राजनीति में तूफानी धमाके के साथ उदित हुई आम आदमी पार्टी वर्तमान में सबसे चर्चित विषय बनी हुई है. भाजपा सांसद एवं सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने तो ‘आप’ को कई पार्टियों का बाप तक कह डाला है.
लेकिन चिंतन का विषय यह है कि क्या ‘आप’ खुद को संभाल पायेगी! आंधी-तूफान ज्यादा देर तक टिकता नहीं है, लेकिन उससे उपजी परिस्थितियां स्थायी रूप से दुखदायी बन जाती हैं. ‘आप’ का सिद्धांत कोई नया तो है नहीं. वह जो करना चाहती है, उसे देश के तमाम राजनीतिक दल नकार नहीं सकते. महंगाई और भ्रष्टाचार को तो भ्रष्ट व्यक्ति भी दिल से नहीं स्वीकारता. लेकिन भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे राजनीतिक दलों को इसने एक नयी राह दिखायी है. देश की अखंडता के मुद्दे पर अनर्गल बयानबाजी से इसे बचना चाहिए, वरना ‘आप’ को शाप बनते देर नहीं लगेगी.
चंद्र भूषण पाठक, कोकर, रांची