कुछ तो बात है
क्यों मची है किसी की आस्था को ठेस पहुंचाने की होड़ अभिव्यक्ति की आजादी, धार्मिक स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सभा करने और जुलूस निकालने की आजादी के परदे के पीछे कुछ स्वार्थी लोग तो नहीं? हजारीबाग की घटना इसी ओर इशारा करती है़ प्रशासनिक व्यवस्था भी ऐसे तत्वों पर लगाम नहीं लगा पाती है. हर धर्म इंसानियत […]
क्यों मची है किसी की आस्था को ठेस पहुंचाने की होड़ अभिव्यक्ति की आजादी, धार्मिक स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सभा करने और जुलूस निकालने की आजादी के परदे के पीछे कुछ स्वार्थी लोग तो नहीं? हजारीबाग की घटना इसी ओर इशारा करती है़ प्रशासनिक व्यवस्था भी ऐसे तत्वों पर लगाम नहीं लगा पाती है.
हर धर्म इंसानियत का पाठ पढ़ाता है, लेकिन धर्म का यह मर्म कोई नहीं समझता़ धर्म के ठेकेदारों के इशारों पर दूसरे संप्रदाय को उकसानेवाले गाने डीजे पर बजाये जाते हैं. इससे किसी को भी ठेस पहुंच सकती है. प्रशासन ऐसे तत्वों को हावी न होने दे़ दंगा रोकने की यही संजीवनी है़
मो अलीशानी, चतरा