संकट में है हमारी पृथ्वी पर्यावरण संरक्षण जरूरी

वैश्विक ऊष्मण ने पृथ्वी पर उपस्थित सभी सजीवों का जीवन-यापन करना कठिन कर दिया है. पिछली सदी के दौरान धरती का औसत तापमान 1.4 फारेनहाइट बढ़ चुका है़ अगले सौ साल के दौरान इसके बढ़ कर 2 से 11.5 फारेनहाइट होने का अनुमान है. वैज्ञानिकों का मत है कि सदी के अंत तक धरती के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2016 1:47 AM

वैश्विक ऊष्मण ने पृथ्वी पर उपस्थित सभी सजीवों का जीवन-यापन करना कठिन कर दिया है. पिछली सदी के दौरान धरती का औसत तापमान 1.4 फारेनहाइट बढ़ चुका है़ अगले सौ साल के दौरान इसके बढ़ कर 2 से 11.5 फारेनहाइट होने का अनुमान है. वैज्ञानिकों का मत है कि सदी के अंत तक धरती के तापमान में 0.3 डिग्री से 4.8 डिग्री तक की बढ़ोतरी हो सकती है.

आज जिस तरह अनियंत्रित विकास की बुनियाद पर पृथ्वी की हरियाली को नष्ट कर मानव समाज उन्नति का सपना देख रहा है, वह एक दिन सभ्यता के अंत का कारण बनेगी. प्राकृतिक संसाधनों के उपभोग के स्थान पर शोषण की बढ़ रही प्रवृत्ति से पर्यावरण का प्राकृतिक चक्र विच्छेद हो गया है. जरूरत इस बात की है कि पर्यावरण संरक्षण में हम यथासंभव योगदान दें.

सुधीर कुमार,गोड्डा

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