चीनी उत्पादों पर शिकंजा
भारतीय उपभोक्ता-बाजार पर चीन निर्मित चीजें किस कदर हावी हैं, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आम भारतीयों की होली और दीवाली तक इन्हीं चीजों से मनायी जाने लगी हैं. तर्क दिया जा सकता है कि उदारीकृत विश्व-अर्थव्यवस्था का यही तो फायदा है कि उपभोक्ता के सामने चुनने के लिए ज्यादा विकल्प होते […]
भारतीय उपभोक्ता-बाजार पर चीन निर्मित चीजें किस कदर हावी हैं, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आम भारतीयों की होली और दीवाली तक इन्हीं चीजों से मनायी जाने लगी हैं. तर्क दिया जा सकता है कि उदारीकृत विश्व-अर्थव्यवस्था का यही तो फायदा है कि उपभोक्ता के सामने चुनने के लिए ज्यादा विकल्प होते हैं.
यह बात भी ठीक है कि चीन में बनी चीजें अपेक्षाकृत सस्ती होती हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या सेहत या सुरक्षा की कीमत पर सस्ते सौदे को तरजीह दी जा सकती है? भारतीयों की सेहत और निजी सुरक्षा की ही चिंता रही होगी, जो वाणिज्य मंत्री ने लोकसभा को सूचित किया है कि चीन में बनी कुछ चीजों के आयात को प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिनमें बिना अंतरराष्ट्रीय पहचान संख्यावाले मोबाइल फोन और दूध व दूध से बने उत्पाद प्रमुख हैं.
बेशक आज देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते डब्ल्यूटीओ जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के नियम से तय होते हैं और कोई भी देश किसी अन्य देश में बनी चीजों के आयात को एकबारगी प्रतिबंधित करने की स्थिति में नहीं है. लेकिन, डब्ल्यूटीओ के नियम किसी उत्पादक को उपभोक्ता-हितों से खिलवाड़ की छूट नहीं देते. चीन के उत्पादकों की अघोषित नीति रही है कि किसी उत्पाद का समधर्मी विकल्प तैयार कर लो और गुणवत्ता को गौण करते हुए उसे सस्ते में बेचो. इसी तौर-तरीके से चीन ने भारत के बाजार को ‘मेड इन चाइना’ उत्पादों से पाट दिया है. इसका असर चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे के रूप में दिखता है. वित्त वर्ष 2015-16 में चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार करीब 65 अरब डॉलर का रहा और व्यापार घाटा करीब साढ़े 48 अरब डॉलर का.
इतने बड़े व्यापार घाटे की वजह है भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ते टेलीकॉम, ऊर्जा आदि क्षेत्र की जरूरत पूरी करने के लिए चीनी वस्तुओं का बढ़ता आयात. भारतीय आयातक बाजार पर पकड़ बनाये रखने के लिए चीन में बनी सस्ती मगर कम गुणवत्ता वाली वस्तुओं के आयात को तरजीह देते हैं. ऐसे में सीमित मात्रा में ही सही, लेकिन खरीदार की सेहत और सुरक्षा से खिलवाड़ करनेवाली चीनी वस्तुओं के आयात को प्रतिबंधित करके भारत सरकार ने एक जरूरी और प्रशंसनीय कदम उठाया है.