देश में सारे चुनाव एकसाथ कराने के समर्थक इसके कई फायदे गिनाते हैं. खर्च में कमी, लंबे समय तक देश के चुनावी मोड में रहने से विकास कार्यों और उनकी घोषणा पर जो रोक लग जाती है, उसका समाप्त होना़ मुझे लगता है यह व्यवस्था इस समय देश के लिए न ठीक है और न संभव.
इस समय देश में कुल मतदाता करीब 82 करोड़ हैं. 543 लोकसभा और 4120 विधान सभा सीटें हैं. सबसे पहले तो इतने बड़े चुनाव के लिए हमारे पास सुरक्षाकर्मियों की पर्याप्त संख्या नहीं है. जितने हैं, उन्हें बारी-बारी से एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट कर काम लिया जाता है. दूसरी बात, लोकसभा और विधानसभा चुनावों के मुद्दे अलग-अलग होते हैं. ऐसे में केंद्र वाला मुद्दा ही राज्यों में हावी हो जायेगा़
अगर किसी राज्य में धारा 356 लगा दी गयी या किन्हीं अंदरूनी कारणों से राज्य की सरकार गिर गयी और मध्यावधि चुनाव कराने पड़े, ऐसे में उसके अगले चुनाव की तिथि तो अन्य राज्यों या केंद्र से अलग हो ही जायेगी़
जंग बहादुर सिंह, ई-मेल से