गलत दिशा में विदेश नीति
लगता है वर्तमान केंद्र सरकार की घरेलू नीति के साथ विदेश नीति भी गलत दिशा में जा रही है. चीन के राष्ट्रपति को झूला झुलाने के बदले में राष्ट्रसंघ में चीन आतंकी अजहर मसूद को बचा ले गया. हमारे प्रधानमंत्री नेपाल गये. खूब अपनापन दर्शाया. पशुपतिनाथ मंदिर को 25 करोड़ रुपये दान में दिये़ नेपाल […]
लगता है वर्तमान केंद्र सरकार की घरेलू नीति के साथ विदेश नीति भी गलत दिशा में जा रही है. चीन के राष्ट्रपति को झूला झुलाने के बदले में राष्ट्रसंघ में चीन आतंकी अजहर मसूद को बचा ले गया. हमारे प्रधानमंत्री नेपाल गये. खूब अपनापन दर्शाया. पशुपतिनाथ मंदिर को 25 करोड़ रुपये दान में दिये़ नेपाल को एक अरब रुपये का लोन देने की पेशकश की. बदले में क्या मिला?
नेपाल ने अपने राजदूत को वापस बुला लिया. अगले सप्ताह वहां की पहली महिला राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी भारत आनेवाली थीं. यात्रा रद्द हो गयी. विदेश नीति में हमसे कहां चूक हो रही है? खुद को राष्ट्रवादी कहनेवाली हमारी केंद्र सरकार को आज चीन के कूटनीति आगे झुकना क्यों पड़ रहा है?
जिस नेपाल को हम शुरू से यही मानते आये हैं कि वह अलग देश नहीं बल्कि भारत का ही एक राज्य है, आज वह हमसे इस तरह का व्यवहार किसके कहने पर कर रहा है? अगर इसी तरह नादानी से पेश आते रहे तो चीन, पकिस्तान, नेपाल के साथ-साथ म्यांमार और बांग्लादेश से भी हमारे संबंध बिगड़ जायेंगे.
जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर