बंद की राजनीति

स्थानीय नीति के खिलाफ 14 मई को आहूत बंद के मद्देनजर जहां एक ओर पुलिस-प्रशासन सख्ती से निबटने की तैयारी में है वहीं दूसरी ओर बंद समर्थक आयोजन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं. इन सबके बीच विधायक राजकिशोर महतो का पत्र और उनके सवाल तर्कसंगत प्रतीत होते हैं. झारखंड का गठन हुए 15 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 13, 2016 6:07 AM
स्थानीय नीति के खिलाफ 14 मई को आहूत बंद के मद्देनजर जहां एक ओर पुलिस-प्रशासन सख्ती से निबटने की तैयारी में है वहीं दूसरी ओर बंद समर्थक आयोजन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं. इन सबके बीच विधायक राजकिशोर महतो का पत्र और उनके सवाल तर्कसंगत प्रतीत होते हैं.
झारखंड का गठन हुए 15 साल बीत गये, लेकिन किसी सीएम ने इस मसले को सुलझाने का प्रयास नहीं किया. 15 वर्ष से यदि यहां के मूलवासियों को स्थानीयता का लाभ नहीं मिल रहा था, तो किसी पार्टी ने पुरजोर आंदोलन क्यों नहीं किया?
अब जब रघुवर सरकार ने हिम्मत जुटा कर फैसला लिया है, तो वही लोग घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं जिन्होंने सरकार में रहते इस मामले पर निर्णय नहीं लिया. अब इस विषय पर हाय-तौबा मचाना राजनीति चमकाना नहीं तो और क्या है?
श्रीकृष्ण मुरारी, धनबाद

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