खाली पड़े पद रोक रहे विकास की राह
किसी भी संस्थान के संस्थागत ढांचा का मजबूत होना जरूरी होता है. संस्थान के महत्वपूर्ण निर्णय भी संस्था के सर्वोच्च पदों पर बैठे अधिकारी ही ले सकते हैं. लेकिन, जब महत्वपूर्ण पद ही खाली पड़े हों, या प्रभार के भरोसे चल रहे हों, तो इसे क्या कहा जाये? झारखंड का यही हाल है. यहां के […]
किसी भी संस्थान के संस्थागत ढांचा का मजबूत होना जरूरी होता है. संस्थान के महत्वपूर्ण निर्णय भी संस्था के सर्वोच्च पदों पर बैठे अधिकारी ही ले सकते हैं. लेकिन, जब महत्वपूर्ण पद ही खाली पड़े हों, या प्रभार के भरोसे चल रहे हों, तो इसे क्या कहा जाये? झारखंड का यही हाल है.
यहां के प्रशासनिक महकमे से लेकर शैक्षणिक संस्थानों तक महत्वपूर्ण पद प्रभार के भरोसे हैं. ऐसे में राज्य का विकास किस गति से होगा, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. हालत यह है कि झारखंड में विकास आयुक्त से लेकर पंचायती राज निदेशक तक का पद या तो खाली पड़ा है या फिर प्रभार के भरोसे चल रहा है. इसका खमियाजा यहां की जनता को उठाना पड़ रहा है.
विकास योजनाएं तो प्रभावित हो ही रही हैं, राज्य को आर्थिक क्षति भी हो रही है. विकास योजनाओं की राशि खर्च नहीं हो पाने के कारण लौट जाती है. इसके लिए दोषी कौन है? दरअसल, इन पदों पर नियुक्ति का मामला सरकार व विभाग के बीच फंसा है. अगर थोड़ा अंदर जाकर देखें, तो पूरे मामले में पैसे व पैरवी ही कारण दिखायी पड़ता है.
राज्य में सरकारें बनने के साथ ही ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल शुरू हो जाता है. इस खेल में राज्य की भलाई दरकिनार कर दी जाती है. और जब हालात बिगड़ जाते हैं तो सिरफुटव्वल का दौर शुरू हो जाता है. अगर सरकार चाह ले, तो इन हालात से निबटा नहीं जा सकता है.
यदि सरकार निष्पक्ष व पारदर्शी होकर अधिकारियों को पदस्थापन व प्रोन्नति दे, तो सब कुछ ठीक हो सकता है. यही हाल शिक्षा विभाग में भी है. राज्य में 3057 मिडिल स्कूलों में 2660 में हेडमास्टर नहीं हैं. वहीं 58 अंगीभूत कॉलेजों में 41 प्राचार्य के पद खाली हैं. इससे राज्य में पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है. राज्य में शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन नहीं हो रहा है.
यहां के अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में ही पढ़ाने में दिलचस्पी रखते हैं. कारण, सरकार स्कूलों में पढ़ाई का स्तर वैसा नहीं रह गया है, जिससे बच्चों के भविष्य की मजबूत नींव रखी जाये. झारखंड का अगर सही तरीके से विकास चाहिए, तो सरकार को पारदर्शी व जवाबदेह होना ही होगा. महत्वपूर्ण पद खाली न हो, इसकी व्यवस्था होनी चाहिए. पदसोपान की समुचित व्यवस्था इस राज्य की मांग है.