सरकार, उपलब्धियां और विज्ञापन!

देश में यह कैसी संस्कृति का विकास किया जा रहा है, जहां सरकार को अपने शासन की उपलब्धियां बखान करने के लिए विज्ञापनों का सहारा लेना पड़ रहा है. सवाल यह है कि जिन नागरिकों को केंद्र में रख कर सरकार विकास का धागा बुनती है, उन्हीं तक अपनी उपलब्धियों का गुणगान करने के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 18, 2016 1:40 AM

देश में यह कैसी संस्कृति का विकास किया जा रहा है, जहां सरकार को अपने शासन की उपलब्धियां बखान करने के लिए विज्ञापनों का सहारा लेना पड़ रहा है. सवाल यह है कि जिन नागरिकों को केंद्र में रख कर सरकार विकास का धागा बुनती है, उन्हीं तक अपनी उपलब्धियों का गुणगान करने के लिए प्रचार माध्यमों का सहारा लेना पड़े, तो यह देश के लिए दुर्भाग्य से कम नहीं.

अगर वास्तव में सरकार की ये उपलब्धियां हैं, तो उसे भारी-भरकम राशि खर्च कर विज्ञापन के माध्यम से प्रचारित क्यों किया जाता है? जनहित से जुड़े विज्ञापनों की बात समझ में आती है, लेकिन केवल सरकार की उपलब्धियां बखान करने के लिए तथा चुनाव जीतने के शस्त्र के रूप में विज्ञापनों का बेजा इस्तेमाल समझ से परे है़ सत्तासीन पार्टियां विज्ञापन से अपनी राजनीति चमकाती रही हैं. लेकिन, ऐसा करना सरकार में शामिल लोगों में आत्मविश्वास की कमी को व्यक्त करता है. केंद्र से लेकर प्रायः सभी राज्य सरकारों का रवैया इसी तरह का रहता है. ऐसी संस्कृति देशहित में नहीं!

सुधीर कुमार, दुमका

Next Article

Exit mobile version