समाज का आईना कहे जानेवाले मीडिया पर अपराधियों की बुरी नजर पड़ रही है. आज प्रेस की स्वतंत्रता अपराधियों को रास नहीं आ रही है. अपराधी तिलमिलाये हुए हैं.
अब उन्होंने पत्रकारों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है. चतरा के पत्रकार इंद्रदेव यादव और बिहार के सीवान में राजदेव रंजन की हत्या ताजा उदाहरण है. अगर स्थिति की गंभीरता को नहीं समझा गया, तो आनेवाला समय न सिर्फ पत्रकारों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए घातक होगा. अत: दोषियों को जल्द से जल्द कठोरतम सजा दी जानी चाहिए़