सत्ता के मद में आपसी टकराव, अर्थहीन वाकयुद्ध, आरोप-प्रत्यारोप और सही से काम न करने का नतीजा जनता ने दिल्ली नगर निगम के 13 वार्डों के उपचुनाव में पार्टियों को दे दिया है. आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीय को भी क्रमशः 5, 4, 3 और 1 सीटें देकर जनता ने पार्टियों को आईना िदखाने का काम किया है. अब समझ में आया कि ये चुनाव िवधानसभा चुनावों के साथ ही क्यों नहीं कराये गये.
एंटी इंकंबेंसी फैक्टर कितना काम करता है, अब साफ है. इसके विपरीत यह भी है कि जो लोग और पार्टियां बेमतलब की बातें नहीं करती हैं और रचनात्मक कार्य में लगी होती हैं, उन्हें जनता कभी नहीं भूलती है और वे सत्ता में बराबर बने रहते हैं. सवाल सिर्फ शांति से सही काम करने का ही है जिसे अब जागरूक जनता बखूबी जानती पहचानती है. चाहे वह वार्ड का चुनाव हो या राष्ट्रीय स्तर का चुनाव़ इसी से नेताओं को अब सबक लेने की जरूरत है वरना आगे गति और भी बुरी हो सकती है.
वेद प्रकाश, ई-मेल से