पैसों की कीमत

पिछले दिनों कहीं पढ़ा कि चीनी अर्थव्यवस्था की चमक के पीछे समाज में संवेदनशीलता की हत्या हो रही है़ चीन में मानवीयता, संवेदनशीलता, ममता तथा निकटतम रिश्तों का पैसा कमाने की खातिर जिस तरह गला घोंटा जा रहा है, वह शायद भारत कभी नहीं करना चाहेगा. पैसा कमाने के लिए लोग संतान को रिश्तेदारों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2016 12:34 AM
पिछले दिनों कहीं पढ़ा कि चीनी अर्थव्यवस्था की चमक के पीछे समाज में संवेदनशीलता की हत्या हो रही है़ चीन में मानवीयता, संवेदनशीलता, ममता तथा निकटतम रिश्तों का पैसा कमाने की खातिर जिस तरह गला घोंटा जा रहा है, वह शायद भारत कभी नहीं करना चाहेगा.
पैसा कमाने के लिए लोग संतान को रिश्तेदारों के पास छोड़ शहर चले जाते हैं और कई महीनों तक एक-दूसरे को नहीं देख पाते. ऐसे में बिना मां-बाप के बच्चों का लालन-पालन किस तरह होता होगा, यह समझा जा सकता है. भारत में स्थिति बेहतर है. कम से कम मां-बाप अपने बच्चों को अपने साथ तो रखते हैं और उनका मार्गदर्शन भी करते हैं.
श्याम नारायण कात्यायन, रांची

Next Article

Exit mobile version