परिवर्तन के लिए जनता बने निर्णायक

जन-कल्याणकारी लोकतंत्र में सारे दल अपने-अपने रथ पर विकास के वादों की ध्वजा लहरा रहे हैं. 2014 के राजनीतिक परिणाम की चिंता का तो उनके पास वक्त नहीं है. भ्रष्टाचार और महंगाई से पीड़ित जनता अपने लिए जीने का विकल्प तलाश रही है. उसके अवचेतन में पृथ्वी के बिगड़ते पर्यावरण की चिंता के साथ देश-संस्कृति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 16, 2014 4:06 AM

जन-कल्याणकारी लोकतंत्र में सारे दल अपने-अपने रथ पर विकास के वादों की ध्वजा लहरा रहे हैं. 2014 के राजनीतिक परिणाम की चिंता का तो उनके पास वक्त नहीं है. भ्रष्टाचार और महंगाई से पीड़ित जनता अपने लिए जीने का विकल्प तलाश रही है. उसके अवचेतन में पृथ्वी के बिगड़ते पर्यावरण की चिंता के साथ देश-संस्कृति और सामाजिक संरचना के बिखरने का खतरा, काले बादलों सा मंडरा रहा है. ऐसे में ‘आप’ का उदय नये साल में बदलाव की बयार लाया है.

नि:संदेह राजनीति के सुर और स्वर बदलते दिख रहे हैं. सरकारीकरण, वैश्वीकरण एवं निजीकरण से अलग, नयी राह आमजन को बेहतर भविष्य के लिए आमंत्रित कर रही है. मात्र व्यवस्था से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए नहीं, बल्कि पूर्ण परिवर्तन लाने के लिए जनता को इस रण में अपनी निर्णायक भूमिका निभानी होगी.
गंगा शरण शर्मा, झरिया, धनबाद

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