कब दूर होगा आम इनसान का दर्द?

हम आम इनसान ही किसी को खास बना कर अपने भविष्य को उनके हाथों सौंप देते हैं. लेकिन वे खास बनते ही हम आम इनसान का दर्द भूल जाते हैं. हम आम इनसान कितना आहत होते हैं, पर किसे इतना समय है कि वह हमारे बारे में सोचे. परीक्षाफल प्रकाशन में तंत्र की लापरवाही की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 17, 2014 3:52 AM

हम आम इनसान ही किसी को खास बना कर अपने भविष्य को उनके हाथों सौंप देते हैं. लेकिन वे खास बनते ही हम आम इनसान का दर्द भूल जाते हैं. हम आम इनसान कितना आहत होते हैं, पर किसे इतना समय है कि वह हमारे बारे में सोचे. परीक्षाफल प्रकाशन में तंत्र की लापरवाही की खबर सोचने को मजबूर करती है कि किसी के भविष्य के साथ ऐसे कैसे कोई खिलवाड़ कर सकता है.

हम आम इनसान अपने अपनों के लिए न जाने कितने सपनों का त्याग कर देते हैं, लेकिन अगर ऐसा ही होता रहा तो हमारे सपने कैसे पूरे होंगे? क्या हमारी सफलता दूसरों की कार्यकुशलता पर निर्भर है? हम सिर्फ इंतजार और उम्मीद में ही दिन गुजार दे रहे हैं और गुजारते ही जा रहे हैं. हम इस आम इनसानों की दर्दनिवारक जादू की छड़ी जिनके पास है, वह उसका इस्तेमाल न जाने हमारे लिए कब करेंगे?
शिखा रानी, गोड्डा

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