गालियों से मां-बहन का अपमान क्यों?

बहुत ही ङिझकते हुए मैं यह मुद्दा उठा रही हूं. मेरा शर्म से जमीन में गड़ जाने को जी चाहता है, जब दो पुरुष आपस में चाहे प्यार से बातें कर रहे हों या फिर उनमें तकरार हो रही हो. घर में बैठी मां, बहन, बेटी की बेवजह शामत आ जाती है. कुछ पुरुषों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 17, 2014 3:53 AM

बहुत ही ङिझकते हुए मैं यह मुद्दा उठा रही हूं. मेरा शर्म से जमीन में गड़ जाने को जी चाहता है, जब दो पुरुष आपस में चाहे प्यार से बातें कर रहे हों या फिर उनमें तकरार हो रही हो. घर में बैठी मां, बहन, बेटी की बेवजह शामत आ जाती है.

कुछ पुरुषों की एक गंदी आदत होती है, हर बात में दूसरे की मां, बहन और बेटी को जोड़ कर गाली देने की. कुछ तो इस अशिष्ट भाषा को ‘मातृभाषा’ भी कहने लगे हैं. मेरे हिसाब से तो एक कानून ऐसा भी होना चाहिए कि जिस तरह जातिसूचक शब्दों के प्रयोग पर अंकुश है, उसी तरह हम मां, बहनों को जोड़ कर अपशब्द बोलनेवालों पर भी अंकुश लग सके. ऐसी भी कोई धारा होनी चाहिए. साथ ही, इन शब्दों को प्रयोग करनेवाले उन पुरुषों से मेरी अपील है कि कि अपनी लड़ाई में मां, बहन, बेटी को तो शामिल न करें. आखिर उनका क्या कुसूर?
सुनीता शर्मा, रांची

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