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कतर दौरे की अहमियत

सवा अरब आबादी वाले भारतीय लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के सिर्फ 20 लाख आबादी और राजशाही वाले देश कतर के राष्ट्राध्यक्ष तमिम बिन हमाद अल थानी से भेंट की अहमियत को समझने के लिए यह तथ्य काफी है कि प्रधानमंत्री ने बीते हफ्ते शुरू हुई पांच देशों की अपनी छह दिनी यात्रा में से दो दिन […]

सवा अरब आबादी वाले भारतीय लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के सिर्फ 20 लाख आबादी और राजशाही वाले देश कतर के राष्ट्राध्यक्ष तमिम बिन हमाद अल थानी से भेंट की अहमियत को समझने के लिए यह तथ्य काफी है कि प्रधानमंत्री ने बीते हफ्ते शुरू हुई पांच देशों की अपनी छह दिनी यात्रा में से दो दिन कतर के लिए ही रखे थे. कतर को महत्व देना कई मायनों में अहम है. कतर प्राकृतिक गैस भंडार के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है और पिछले साल भारत के कुल तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) आयात का 65 फीसदी कतर से ही आया था. इसलिए, मामला पारस्परिक निर्भरता का भी बनता है.
भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा चाहिए और इसमें कतर से बना सौहार्दपूर्ण संबंध सहायक हो सकता है. अपने विशाल प्राकृतिक गैस तथा तेल भंडार के कारण कतर दुनिया के सर्वाधिक धनी देशों में शुमार है और इसी कारण उसके पास दुनिया का 15वां सबसे बड़ा (256 अरब डॉलर का) ‘सॉवरन फंड’ है. व्यापार अधिशेष और प्रचुर विदेशी मुद्रा भंडार की बदौलत बना सरकारी नियंत्रण वाला यह फंड ‘मेक इन इंडिया’ के नारे से झांकनेवाले विजन की पूर्ति के लिहाज से महत्वपूर्ण है. प्रधानमंत्री के कतर दौरे की सफलता भी इन्हीं दो तथ्यों से जुड़ी है.
एक तो इस दौरे के बाद भारत एलएनजी के आयात में कतर की तरफ ज्यादा विश्वास भरी नजर से देख सकता है, दूसरे कतर से हुए द्विपक्षीय समझौते के मुताबिक अगले कुछ सालों में बुनियादी ढांचे की बहुत सी परियोजनाओं में सॉवरन फंड के जरिये निवेश की उम्मीद कर सकता है. अगर प्रधानमंत्री के दोहा दौरे को इससे पहले के संयुक्त अरब अमीरात दौरे से जोड़ कर देखें तो बात स्पष्ट हो जायेगी कि भारत अरब मुल्कों को अपने नव-निर्माण में मुख्य भागीदार मान कर चल रहा है.
संयुक्त अरब अमीरात के पास कतर से भी ज्यादा (800 अरब डॉलर का) ‘सॉवरन फंड’ है और उसने वादा किया है कि भारत के बुनियादी क्षेत्र में अगले कुछ सालों में 75 अरब डॉलर का निवेश करेगा. निवेश को सुगम बनाने के लिए कस्टम और फाइनेंंशियल इंटेलिजेंस से भी समझौते हुए हैं. साथ ही कौशल उन्नयन से संबंधित समझौते का भी अपना महत्व है.
संक्षेप में कहें तो प्रधानमंत्री ने कतर के राष्ट्राध्यक्ष और व्यापारियों को अपने इस संदेश पर विश्वास दिलाने में सफलता हासिल की है कि ‘भारत संभावनाओं का देश है’ और दोनों देश व्यावसायिक जमीन पर इन संभावनाओं का अपने-अपने हक में लाभ उठा सकते हैं.

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