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निगरानी विभाग की सक्रियता जरूरी

राज्य में भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा. वक्त है, निगरानी विभाग को युद्ध स्तर पर सक्रिय करने का. चाहे आप रजिस्ट्री ऑफिस जायें, डीटीओ ऑफिस या नगर परिषद, हर जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला है. सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का दावा करती है, लेकिन एक बार आप रजिस्ट्री ऑफिस चले जाइए, सरकारी दावे का […]

राज्य में भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा. वक्त है, निगरानी विभाग को युद्ध स्तर पर सक्रिय करने का. चाहे आप रजिस्ट्री ऑफिस जायें, डीटीओ ऑफिस या नगर परिषद, हर जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला है.
सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का दावा करती है, लेकिन एक बार आप रजिस्ट्री ऑफिस चले जाइए, सरकारी दावे का सच पता चल जायेगा़ मोहरील से लेकर टाइपिस्ट, बाबू और सब रजिस्ट्रार तक सबका रेट फिक्स है. ये बेखौफ इतने कि किसी को स्टिंग करना हो, तो आराम से कर सकता है. निगरानी विभाग से आग्रह है कि एक बार रजिस्ट्री ऑफिस या नगर निकाय में दबिश दें. खुली लूट मची है. सात प्रतिशत कुल खर्च आता है, जमीन या फ्लैट रजिस्ट्री में. लेकिन किसी आम जनता से पूछिए. कितनी लगती है वास्तविक राशि. रेट फिक्स है.
अगर 50 लाख की संपत्ति की रजिस्ट्री करानी हो तो कुल वैल्यू का सात प्रतिशत सरकारी खजाने में, 1 प्रतिशत फिक्स एक्स्ट्रा और चालीस से पचास हजार अलग से. अलग से पैसे वसूली का आप कारण जानने की कोशिश करेंगे तो आपकी संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं हो पायेगी और आप दौड़ते रह जायेंगे. कभी नक्शे में विचलन, तो कभी छोटानागपुर टीनेंन्सी एक्ट का बहाना बनाकर आपको लौटा दिया जायेगा. क्या इसका कोई इलाज है?
विभूति पी, ई-मेल से

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