दुनिया बदलने वाली किताबें
-हरिवंश- यह प्रसंग प्राय: याद आता है. 1991 आरंभ की बात है. प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ हम चेन्नै गये थे. उनकी आदत थी, भोर (सुबह) में उठना. सुबह पता चला कि वह कहीं गये हैं. लौटे. हम कई लोग थे. बताया कि पुराना म्यूजियम देखने गया था. हजारों-लाखों वर्ष पुराने जीवाश्म और अवशेष चिह्न. फिर […]
-हरिवंश-
यह प्रसंग प्राय: याद आता है. 1991 आरंभ की बात है. प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ हम चेन्नै गये थे. उनकी आदत थी, भोर (सुबह) में उठना. सुबह पता चला कि वह कहीं गये हैं. लौटे. हम कई लोग थे. बताया कि पुराना म्यूजियम देखने गया था. हजारों-लाखों वर्ष पुराने जीवाश्म और अवशेष चिह्न. फिर कहा, दिल्ली देखते हो. एक बार एक बड़े नेता के साथ रात में दिल्ली से गुजरते हुए मैंने बादशाहों के कई मकबरे दिखाये. कुछ पुराने ध्वंस प्रतीक भी. कुछेक की स्मृतियां हैं, तो अन्य के खंडहर भी नहीं बचे.
फिर उक्त राजनेता से कहा, न जाने दिल्ली में कितने बादशाह, शहंशाह आये. इंद्रप्रस्थ आया, गया. यही संसार का इतिहास है. प्रकृति का करिश्मा है. फिर चंद्रशेखर ने उस बड़े राजनेता से कहा, महान-महान दिग्विजयी भी इतिहास के फुलस्टाप, कामा नहीं हो पाते, तो हम जैसों की क्या बिसात? फिर चंद्रशेखरजी ने कहा, कोई व्यक्ति इतिहास का अंतिम व्यक्ति नहीं होता. इसलिए किसी को जीवन में भ्रम नहीं होना चाहिए. जो इतिहास का अंतिम व्यक्ति बनना चाहता है, उसे इतिहास ही मिटा देता है. यही कालचक्र है. समयचक्र है.
18 जून की कलकत्ता यात्रा में मेल्विन ब्रैग की पुस्तक ‘टुवेल्भ बुक्स दैट चेंज्ड द वर्ल्ड’ (हाउ वर्ड्स एंड विसडम हैव शेप्ड आवर लाइभस्) खरीदी. इसे पढ़ते हुए चंद्रशेखरजी का कहा सत्रह वर्षों पुरानी यह बात फिर कौंधी. यह पुस्तक छापी है, हॉडर एंड स्टाउगटन, लंदन ने. भारत में हेचेट इंडिया इसका विक्रय कर रही है. कीमत है 495 रूपये. 380 पेजों की पुस्तक.
शुरू से आज तक की मानव इतिहास की बदलाव कथा. इस युगांतकारी बदलाव में पुस्तकों की भूमिका का स्मरण. भूमिका में लेखक कहता है, हम मानते हैं कि साढ़े छह लाख वर्षों पहले पृथ्वी पर उल्का (एस्ट्राइड) गिरा. डायनासोर मारे गये. इस तरह जीव के विकास की जगह बनी. फिर हिम युग का उल्लेख आता है. भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग का भय सता रहा है. हमने बड़े-बड़े युद्धों को देखा. यह भी देखा कि मनुष्य की ऊर्जा शक्ति एंव प्रेरणा ने कैसे ध्वंस खंडहरों को आबाद किया. फ्रांस की क्रांति हुई. रूस की क्रांति हुई. अमेरिका में क्रांति हुई. पर इन सबसे बड़ा बदलाव आद्योगिक क्रांति से आया. लोग गांवों से शहर आने लगे. मनुष्य की उम्र बढ़ी. फिर टेक्नोलॉजी के परिवर्तन ने बदलाव की गति को अप्रत्याशित बना दिया. फिर उपभोक्तावाद की आंधी का यह मौजूदा दौर…. क्या संसार के इस बदलाव को कोई पुस्तक बांध सकती है? हम अक्सर सोचते हैं कि हम और हमारा युग ही इतिहास के अंतिम पात्र, सच और नायक हैं? पर सच अलग है. लेखक मेल्विन ब्रैग कहते हैं कि उनकी इच्छा थी कि वह बारह ऐसी पुस्तकों का चयन करें, जिन्होंने मानव इतिहास के मोड़ पर यादगार भूमिका निभायी या नया मोड़ दिया या मानव इतिहास में कैट्लिटिक एजेंट की भूमिका का निर्वाह किया.
वह मानते हैं कि जब यह चयन करने बैठा, तो मुश्किल लगा. पुराने ग्रीक का इतिहास, ईश्वर का इतिहास या धार्मिक पुस्तकें, विज्ञान की पुस्तकें या मार्क्स, माओ की गाथा. कैसी हो सूची? फिर भी अधूरापन. एक व्यापक दृष्टि की कमी लगी. फिर लेखक ने भिन्न दृष्टि अपनायी. जिन महत्वपूर्ण पुस्तकों ने मनुष्य को सोचने-समझने के तौर तरीके और जीवन दर्शन को मोड़ दिया या जिन दस्तावेजों और पैंपलेटों ने तब दुनिया को नयी राह पर डाल दिया, उन्हीं को लेखक ने 12 निर्णायक पुस्तकों में शामिल किया.
अंतत: पुस्तकों का चयन विचारों, आविष्कारों और नयी खोजी के इर्द-गिर्द ही लेखक ने किया. मसलन विलियम विल्वरफोर्स ने दास प्रथा के उन्मूलन के लिए 1789 में कारगर अभियान चलाया. 1789 में ही हाउस आफ कॉमनस में चार घंटे की लगातार तकरीर की. उसके तुरंत बाद इसे पुस्तक के रूप में छापा गया. हजारों वर्ष से चली आ रही गुलामी-दासत्व के अंत से मानव जीवन की यात्रा में एक नयी शुरूआत हुई. मानवीय समता के इस क्रांतिकारी बीज ने समाज, देश और दुनिया को तेजी से बदला. इसी तरह मेरी वुल्लसटोन क्राफ्ट ने (ए विंडिकेशन आफ द राइटस् आफ वीमेन) 1792 में औरतों की बराबरी का प्रसंग उठाया. यह एक नयी सामाजिक क्रांति थी. इसी तरह एक महिला मेरी स्टोपस् (मैरिड लव) 1918 में सेक्स के बारे में खुली चर्चा कर दृश्य बदल दिया. मरणोपरांत विलियम शेक्सपीयर का नाटक 1623 में द फर्स्ट फोलियो छपा. मानव चिंतन-कल्पना पर इस नाटक का दीर्घकालिक असर हआ. 1863 में यह किताब आयी, ‘द रूल्स बुक आफ एसोसिएशन फुटबाल’. पूरी दुनिया में इसका गहरा असर हुआ. आर्कराइट ने 1789 में कताई मशीन ढूंढ़ा और औद्योगिक क्रांति की शुरूआत हो गयी. इस एक क्रांति ने दुनिया का चेहरा, मानवीय संबंध, भूगोल और सामाजिक हालात बदल दिया.
पुस्तक पढ़ने से स्पष्ट है कि जिन लेखकों ने दुनिया को बदला, उन्हीं पुस्तकों का चयन लेखक ने इस संकलन में किया है. जिन पुस्तकों ने चलती दुनिया का रास्ता बदल दिया या जिस दुनिया में हम जीते-रहते हैं, उसको गहराई से बदला, वही पुस्तकें और लेखक इस संकलन में हैं. उन पुरानी दुर्लभ पुस्तकों के आरंभिक कवर भी किताब में है. कुछ दुर्लभ फोटोग्राफ, तस्वीरें और रेखाचित्र भी.
आज हम घर में जायें, क्लब जायें, एयरपोर्ट जाये, स्टेशन जायें, दफ्तर जायें, हम पा सकते हैं, इन पुस्तकों ने हमारे रोज के जीवन में पल-पल कहां दखल दिया? कैसे बदला? न्यूटन की वजह से हम चांद तक गये. फेराडे ने बिजली दी. डारविन ने विकास के सिद्धांत बताये और मानव सभ्यता के जन्म से साथ चले आ रहे भगवान को दूर कर दिया. मेरी वुल्लसटोन क्राफ्ट ने महिलाओं की सामाजिक समानता की नींव डाली. मेरी स्टोपस् ने सवाल उठाया कि महिलाएं सेक्स के बारे में या अपने परिवार के बारे में क्यों नहीं मुक्त रूप से सोच या विचार या बात कर सकतीं हैं? मैगनाकार्टा चार्टर ने दुनिया से तानाशाहों और खूंख्वार शासकों का अंत कर दिया. आज चाहे ब्रिटेन हो या अमेरिका या भारत, सबके संविधान के पीछे इसी चार्टर का स्पिरिट है. एडम स्मिथ ने उन विचारों को गढ़ा, जिसकी बुनियाद पर आज बाजार दुनिया स्तर पर काम कर रहा है. शेक्सपीयर ने हमारी कल्पनाशक्ति को समृद्ध किया. आर्कराइट ने हमारे काम करने की संस्कृति को एक नया रूप दिया.
मसलन न्यूटन के बारे में तब के सबसे बड़े कवि एलेक्जेंडर पोप ने लिखा, जिसका आशय है, प्रकृति और प्रकृति के नियम रात के अंधेरे में छुपे थे, ईश्वर ने कहा कि न्यूटन को पैदा होने दो और हर जगह प्रकाश फैल गया. यूरोप के मशहूर फिलॉसोफर वोल्टायर ने इंग्लैंड में न्यूटन की अंत्येष्टी देखी थी, वहां एक गणितज्ञ को वह सम्मान मिला, जो दूसरे देशों में सम्राटों को मिलता था. दुनिया के जानेमाने विद्वान लाप्लेस ने कहा, ह्यूमन जीनियस (मानवीय मौलिक प्रतिभा) की जितनी भी बड़ी और उल्लेखनीय कृतियां-रचनाएं हैं, उनमें प्रिंसिपिया मेथेमेटिका हमेशा अग्रणी रहेगा. इसी तरह लेखक ने इन बारहों पुस्तक के सारांश, उनका ऐतिहासिक असर और लेखकों की पृष्ठभूमि रेखांकित किया है. मानव सृष्टि में पुस्तकों की भूमिका पर यह महत्वपूर्ण कृति है.