सुनंदा की मौत और कुछ उलझे सवाल
सुनंदा पुष्कर. 2010 में आइपीएल की कोच्चि टीम की खरीद में यह नाम सामने आने के बाद विवाद इतना गहराया, कि शशि थरूर को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. परंतु तमाम राजनीतिक टिप्पणियों को नजरअंदाज करते हुए दोनों इसी साल शादी के बंधन में बंध गये थे. उन पर राजनीतिक हमले शादी के […]
सुनंदा पुष्कर. 2010 में आइपीएल की कोच्चि टीम की खरीद में यह नाम सामने आने के बाद विवाद इतना गहराया, कि शशि थरूर को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. परंतु तमाम राजनीतिक टिप्पणियों को नजरअंदाज करते हुए दोनों इसी साल शादी के बंधन में बंध गये थे. उन पर राजनीतिक हमले शादी के बाद भी जारी रहे और सुनंदा को ‘50 करोड़ की गर्लफ्रेंड’ तथा थरूर को ‘लव गुरु’ तक कहा गया, पर दोनों ने साथ मिल कर इसका प्रतिकार किया.
ऐसे में यह सवाल स्वाभाविक है कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि दोनों की इस तीसरी शादी की उम्र महज तीन साल की ही हो सकी. सुनंदा की दिल्ली के एक होटल में त्रसद मृत्यु की असली वजह का पता तो व्यापक जांच के बाद ही चलेगा, पर प्रारंभिक जांच के बाद डॉक्टरों ने इसे ‘अस्वाभाविक एवं अचानक’ मृत्यु माना है. डाक्टरों के मुताबिक उन्हें कोई गंभीर बीमारी भी नहीं थी. ऐसे में अगर यह दवाओं के ओवरडोज का भी मामला है, तो ये दवाएं सुनंदा के पास कैसे और क्यों पहुंचीं? 16 तारीख को वे रोती हुई अकेले होटल आयी थीं. उसी दिन बाद में थरूर ने उसी होटल में दूसरा कमरा लिया था.
दोनों दिन सुनंदा ट्विटर पर अपने पति और एक पाकिस्तानी पत्रकार के बीच संबंध होने के आरोप लगाती रहीं. उनके ट्वीट और दोस्तों के बयानों के आधार पर कहा जा सकता है कि सुनंदा दांपत्य जीवन को लेकर परेशान थीं, पर वे इससे निकलने को लेकर भी दृढ़ थीं. यह पूरा प्रकरण एलीट समाज की जीवनशैली में संबंधों के बीच अवसाद बढ़ने की ओर भी इशारा कर रहा है. यहां यह प्रश्न भी स्वाभाविक है कि क्या केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत दिल्ली पुलिस एक ऐसे मामले की निष्पक्ष पड़ताल कर सकेगी, जो एक केंद्रीय मंत्री से जुड़ा है?
इसलिए कुछ नेता मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने और जांच पूरी होने तक थरूर के इस्तीफे की मांग भी कर रहे हैं. इस रहस्यमयी मृत्यु से पहले के कुछ दिनों के ट्वीट्स ने फिर रेखांकित किया है कि सोशल मीडिया के जरिये निजी एवं संवेदनशील बातों को सार्वजनिक करना किस कदर भयावह हो सकता है. जाहिर है, सुनंदा की मौत के रहस्य से परदा उठाने के साथ-साथ भारत जैसे देशों में इस नये मीडिया माध्यम को लेकर व्यापक जागरूकता की भी जरूरत है.