नीलगाय समेत अन्य पशुओं को मारा जाना अब भी बहस का मुद्दा बना हुआ है. प्रश्न यह है कि क्या नील गायों को मारने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था? क्या किसानों को पशुओं से अपनी फसलें बचाने के लिए यही एकमात्र उपाय रह गये थे? विकल्प तो और भी हो सकते थे.
मैं एक सवाल पूछना चाहता हूं, मान लीजिए कोई चोर कई दुकानों में चोरी करता है और दुकानों का सामान भी नष्ट कर देता है. और वह चोर पकड़ा जाता है, तो क्या उसे मौत की सजा सुनायी जायेगी? नहीं ना! तो फिर बेजुबान पशुओं को मौत की सजा क्यों?
पालुराम हेंब्रम, सालगाझारी