प्रांतीय भाषाओं के साथ जरूरी हो हिंदी

प्रभात खबर के माध्यम से ‘आपणी भासा’ एवं अपनी भाषा का अंतर स्पष्ट कर रहा हूं. आपणी भासा से तात्पर्य संविधान की आठवीं अनुसूची में राजस्थानी भाषा को मान्यता दिये जाने से है.राजस्थानी सामाजिक संगठनों से अनुरोध है कि आपणी भासा के साथ ही अपनी भाषा हिंदी का महत्व भी समङों. प्रवासी राजस्थानी नागरिक भारत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 21, 2014 5:49 AM

प्रभात खबर के माध्यम से ‘आपणी भासा’ एवं अपनी भाषा का अंतर स्पष्ट कर रहा हूं. आपणी भासा से तात्पर्य संविधान की आठवीं अनुसूची में राजस्थानी भाषा को मान्यता दिये जाने से है.राजस्थानी सामाजिक संगठनों से अनुरोध है कि आपणी भासा के साथ ही अपनी भाषा हिंदी का महत्व भी समङों.

प्रवासी राजस्थानी नागरिक भारत के विभिन्न प्रांतों में निवास कर रहे हैं. देश की राजभाषा हिंदी संपूर्ण भारत में आपसी संपर्क का माध्यम है.हम सबको एकता एवं अखंडता के सिद्धांत पर हिंदी को सभी राज्यों के सरकारी कार्य में प्रांतीय भाषाओं के साथ अनिवार्य करने की दिशा में पहल करनी चाहिए. बीते कुछ सालों में नये राज्यों के गठन से उत्साहित वोट बैंक की राजनीति करनेवाले दल छोटे राज्यों के गठन की मांग कर रहे हैं. कृपया इनके निहित स्वार्थ को समझते हुए राष्ट्रहित में चिंतन करें.

राजेंद्र कुमार सोनी, कोलकाता

Next Article

Exit mobile version