‘आप’ का उतावलापन
शासन तंत्र चलाने के लिए परिकल्पना, पूर्वानुमान, कार्यानुभव, आपसी समझ एवं समन्वय की आवश्यकता होती है. राजपुरुष आगामी पीढ़ी तथा राजनेता आगामी चुनाव के बारे सोचते हैं.आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जिस प्रकार दिल्ली राज्य का प्रशासन चला रहे हैं, उसमें उनकी अनुभवहीनता साफ झलकती है. उन्होंने जनता से […]
शासन तंत्र चलाने के लिए परिकल्पना, पूर्वानुमान, कार्यानुभव, आपसी समझ एवं समन्वय की आवश्यकता होती है. राजपुरुष आगामी पीढ़ी तथा राजनेता आगामी चुनाव के बारे सोचते हैं.आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जिस प्रकार दिल्ली राज्य का प्रशासन चला रहे हैं, उसमें उनकी अनुभवहीनता साफ झलकती है.
उन्होंने जनता से जो वायदे किये हैं, उसका पूर्व में उन्होंने अगर आकलन कर लिया है, तो उद्देश्य–प्राप्ति में भले कुछ कठिनाइयां हों, पर उसमें उन्हें सफलता जरूर मिलेगी. पर अगर ठीक से संसाधनों एवं आवश्यकताओं का आकलन नहीं किया गया है तो भारी विफलता हाथ लगेगी.
यह मात्र उनकी विफलता नहीं होगी, बल्कि भारत में एक उभरते हुए स्वप्नदर्शी दल के द्वारा जनता के हृदय में जिस आशा एवं विश्वास का संचार हुआ है, उस पर तुषारापात होगा. युवा पीढ़ी जो भारत के लिए विकास का स्वप्न देख रही है, उस पर कुठाराघात होगा और देश में निराशा छा जायेगी. केजरीवाल व उनकी पार्टी अभी अनुभविहीन और अपरिपक्व है.
वे अभी दिल्ली नगर-राज्य में शासन-सुव्यवस्था कायम करें और महंगाई, भ्रष्टाचार, पानी, बिजली, शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य की समस्याओं का समाधान करें. फिर अन्य राज्यों के महानगरों के नगर निकायों को चुनावों में भाग लें और उनकी समस्याओं का समाधान करें. पांच वर्षो तक अच्छा शासन देकर, लोक सभा चुनाव में पूरी तैयारी के साथ भाग लें और सत्ता प्राप्त करें.
इस तरह आधे-अधूरे और प्रायोगिक तौर पर नहीं. इस देश को प्रयोगशाला कतई नहीं बनाया जा सकता.पूरे देश का शासन चलाने के लिए उन्हें काफी अनुभव की जरूरत है, उतावलेपन की नहीं.
ईश्वर दयाल, आनंदपुरी, हजारीबाग