कानून हाथ में

इन दिनों लोग बड़े अधीर हो उठे हैं. बात छोटी हो या बड़ी, हम उतावले होकर कानून की सीमा लांघ जाते हैं. पिछले महीने नगालैंड में उग्र भीड़ ने खुद फैसला सुनाते हुए कथित दुष्कर्मी को फांसी दे दी. यह घटना सुरक्षा व्यवस्था की खामियों और सुस्त न्याय व्यवस्था से उपजे आक्रोश की तत्काल प्रतिक्रिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2016 2:22 AM
इन दिनों लोग बड़े अधीर हो उठे हैं. बात छोटी हो या बड़ी, हम उतावले होकर कानून की सीमा लांघ जाते हैं. पिछले महीने नगालैंड में उग्र भीड़ ने खुद फैसला सुनाते हुए कथित दुष्कर्मी को फांसी दे दी.

यह घटना सुरक्षा व्यवस्था की खामियों और सुस्त न्याय व्यवस्था से उपजे आक्रोश की तत्काल प्रतिक्रिया है. हम लोकतंत्र के नाम पर न्याय-तंत्र की सुस्त व्यवस्था और सुरक्षा संबंधी खामियों को कब तक छुपाते रहेंगे. इसके लिए कौन दोषी है?

पूजा गोस्वामी, रांची

Next Article

Exit mobile version