पंचायतों में भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला कदम

झारखंड कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि अब मुखिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा. इसके लिए ‘झारखंड राज्य पंचायत अधिनियम’ में संशोधन के लिए कैबिनेट सहमत हो गया है. इसका असर यह पड़ेगा कि अब किसी भी मुखिया को समय से पहले हटाया नहीं जा सकता, चाहे उसके खिलाफ कितने ही गंभीर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 24, 2014 4:11 AM

झारखंड कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि अब मुखिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा. इसके लिए ‘झारखंड राज्य पंचायत अधिनियम’ में संशोधन के लिए कैबिनेट सहमत हो गया है. इसका असर यह पड़ेगा कि अब किसी भी मुखिया को समय से पहले हटाया नहीं जा सकता, चाहे उसके खिलाफ कितने ही गंभीर आरोप क्यों न हों. इसका दूरगामी असर पड़ सकता है.

लंबे समय से यह मांग की जाती रही है कि विधायक या सांसद को भी समय से पहले उनके पद से हटाने के लिए प्रावधान होना चाहिए. ऐसी मांग इसलिए की जा रही है, क्योंकि एक गलत व्यक्ति का चुनाव होने पर उसे पांच साल तक ङोलना पड़ता है. जनता की सेवा वह न करे, उसकी बात न सुने, तो भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ा जा सकता. लेकिन झारखंड राज्य पंचायत अधिनियम में यह प्रावधान था कि अगर किसी मुखिया की शिकायत है तो उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला कर उसे हटाया जा सकता है. सरकार ने अब इसे समाप्त कर दिया है.

पंचायतों को विकास कार्यो के लिए बड़े पैमाने पर राशि मिल रही है.पूरे राज्य से शिकायत आती रहती है कि मुखिया गड़बड़ी कर रहे हैं. पैसों का दुरुपयोग कर रहे हैं. मनमानी कर रहे हैं. उनके भ्रष्टाचार में लिप्त होने के मामले भी सामने आये हैं. यह स्थिति तब है जब मुखिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान था. कैबिनेट के फैसले के बाद अब मुखिया को इस बात का डर नहीं रहेगा कि उसे हटाया भी जा सकता है. पांच साल (या चुनाव होने तक) वे अपने पद पर बने रहेंगे. ऐसी स्थिति में इस बात का डर है कि मुखिया पहले से ज्यादा निरंकुश हो कर काम करेंगे.

यह अलग बात है कि अगर किसी मुखिया के खिलाफ कोई शिकायत आती है, तो उसकी सुनवाई के लिए एक प्राधिकार होगा. इससे मुखिया को बहुत फर्क नहीं पड़ता है. ऐसा कोई उदाहरण भी सामने नहीं है जिसमें किसी अच्छे और काम करनेवाले मुखिया के खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो. इसलिए अधिनियम में संशोधन पर सवाल उठेगा. दरअसल, यह राजनीतिक दबाव में लिया गया फैसला है. इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. हर पंचायत को 10-10 करोड़ रुपये देने की मुख्यमंत्री ने घोषणा भी की है. अब मुखियाओं की चांदी हो जायेगी.

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