एक और डौंडिया बनने से रोकिए!
।। सत्य प्रकाश चौधरी।।(प्रभात खबर, रांची)प्रतीक्षारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, रांची में एक जगह है, कांके. लोग भले आज रांची को धौनी से जानते हों, पर कभी कांके से जाना करते थे. कांके में अंगरेजों के जमाने का मानसिक अस्पताल है जो देश के अपनी तरह के चुनिंदा अस्पतालों में गिना जाता है. साहब, यह […]
।। सत्य प्रकाश चौधरी।।
(प्रभात खबर, रांची)
प्रतीक्षारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी,
रांची में एक जगह है, कांके. लोग भले आज रांची को धौनी से जानते हों, पर कभी कांके से जाना करते थे. कांके में अंगरेजों के जमाने का मानसिक अस्पताल है जो देश के अपनी तरह के चुनिंदा अस्पतालों में गिना जाता है. साहब, यह सब बता कर मेरा मकसद गुजरात के गौरव को कम करना कतई नहीं है. हो सकता है कि आपके यहां इससे भी बेहतर मानसिक अस्पताल हो. कहां गुजरात, कहां झारखंड! खैर, मुद्दे पर आते हैं. कांके से ज्यादा मशहूर आजकल कांकेबार हो रहा है (अंडमान वाले निकोबार से कनफ्यूज मत होइएगा), जो कांके से 50 किलोमीटर दूर रामगढ़ जिले में है. ‘शोले’ वाला रामगढ़ नहीं, वह रामगढ़ जहां 1940 में उस कांग्रेस की 53वीं बैठक हुई थी जिससे मुक्त भारत आप बनाना चाहते हैं. देखिए साहब, इतिहास-भूगोल के बारे में इतने विस्तार में मैं जाना नहीं चाहता, पर डर लगता है कि कहीं पटना वाले भाषण की तरह आप सबकुछ उल्टा-पुल्टा न कर दें.
एक साधु के सपने पर जब यूपी के डौंडिया खेड़ा में केंद्र सरकार सोना खुदवा रही थी, तब आपने उसका बड़ा मजाक उड़ाया था. उस वक्त आपका वैज्ञानिक मिजाज (मुझे मालूम है कि आपको नेहरू पसंद नहीं हैं, पर उनकी शब्दावली का सहारा लेना ही पड़ रहा है) देख खुशी हुई थी. लेकिन आप ही की पार्टी के एक बड़े नेता यशवंत सिन्हा जी कांकेबार को डौंडिया कलां बनाने में भरपूर सहयोग कर रहे हैं. बस फर्क यह है कि सोना खुदवाने की जगह काली मंदिर बनवा रहे हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग 33 के एक लेन के बीचोबीच. क्योंकि एक भक्तिन को सपना आया है कि जब तक सड़क पर मंदिर नहीं बनेगा, रामगढ़ में शांति नहीं रहेगी.
तो साहब, आपके सिन्हा जी राजमार्ग के उस प्रोजेक्ट में पलीता लगा रहे हैं जिसे आप वाजपेयी जी का सपना कहते नहीं अघाते. और हां, इस मंदिर की बुनियाद का पत्थर रखा है तोगड़िया जी ने. उन्हें तो आप नहीं ही भूले होंगे. जब अहमदाबाद की सड़कें चौड़ी करवाने के लिए आप अवैध मंदिर तुड़वा रहे थे, तो तोगड़िया जी आपके खिलाफ उतर गये थे. आपने उन्हें ऐसा ठीक किया कि गुजरात छुड़वा दिया. अब वही तोगड़िया जी आपसे नजरें बचा के झारखंड में अपना जलवा दिखा रहे हैं. मुङो पूरी उम्मीद है कि आप ‘दुश्मनों’ को चुन-चुन कर साफ करने की अपनी अदा यहां भी दिखायेंगे.
आप पूछ सकते हैं कि यह पत्र मैंने भाजपा अध्यक्ष को क्यों नहीं लिखा. तो बात ऐसी है साहब कि आज भाजपा का मतलब मोदी है, हम अध्यक्ष-वध्यक्ष को नहीं जानते. हम तो सिर्फ आपको जानते हैं. पहचानते हैं. आपका हर भाषण सुनते हैं. अभी आपका ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ भी जाना है. उम्मीद है कि आप झारखंड में घटित हो रहे इस डौंडिया खेड़ा को रोकेंगे.
-एक झारखंडी