पिछले साल की तरह इस बार भी उन्होंने अपील की है कि लोग उन मुद्दों और समस्याओं को उनसे साझा करें, जिन पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से किये जानेवाले उनके स्वतंत्रता दिवस संबोधन में चर्चा हो. यह एक स्वागतयोग्य पहल है और उम्मीद है कि देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोग अपने सुझाव प्रधानमंत्री तक पहुंचायेंगे. स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री का संभाषण एक विशिष्ट आयोजन होता है और उसमें सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के उल्लेख के साथ देश की दशा और दिशा का भी रेखांकन होता है.
बीते साल भर से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पर बहस हो रही है. कराधान की इस प्रस्तावित नीति के समुचित लाभ उद्योग जगत और सरकार को हो सकते हैं तथा इसकी उपयोगिता और आवश्यकता पर शीर्ष पर लगभग सहमति भी है, पर देश की आम जनता में इसके लाभों को लेकर स्पष्टता नहीं है. इस विषय की समझ को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री लाल किले के संबोधन के अवसर का उपयोग कर सकते हैं. सरकार तकरीबन अपना आधा कार्यकाल पूरा कर चुकी है और इस अवधि में लाये गये विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रमों के फायदे जमीनी स्तर पर बेहतरी के साथ पहुंचाने के संभावित प्रयासों का भी उन्हें उल्लेख करना चाहिए.
कश्मीर की चिंताजनक मौजूदा हालात पर बात कर प्रधानमंत्री घाटी के लोगों, देश और दुनिया को अपनी नीतियों और प्राथमिकताओं से अवगत करा सकते हैं तथा एक सकारात्मक संदेश प्रेषित कर सकते हैं. देश के विभिन्न हिस्सों से हिंसा की खबरें सामाजिक समरसता और सामाजिक न्याय के ध्येय पर गंभीर चोट का संकेत दे रही हैं. प्रधानमंत्री मोदी अपने वार्षिक भाषण में इन चिंताजनक घटनाओं पर सरकार के रुख से देश को परिचित करा सकते हैं, ताकि एकजुटता और भागीदारी के साथ देश विकास की राह पर अग्रसर हो सके. चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के साथ संबंधों की स्थिति और भावी परिदृश्य पर भी चर्चा होनी चाहिए. आशा है कि प्रधानमंत्री मोदी लाल किले के भाषण में इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर सारगर्भित और ठोस उल्लेख करेंगे.