यह देश आजाद है
गुलाम भारत को मैंने नहीं देखा, पर गुलामी की व्यथा को किताबों में जरूर पढ़ा है़ अंगरेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ भी बोले तो गये काम से़ लेकिन कहने को तो आज हम आजाद हैं लेकिन आजादी काहे की भैया? आजाद घूमें तो अपहरण या मौत का भय, बहू-बेटी बाहर निकले तो छेड़खानी का भय, […]
गुलाम भारत को मैंने नहीं देखा, पर गुलामी की व्यथा को किताबों में जरूर पढ़ा है़ अंगरेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ भी बोले तो गये काम से़ लेकिन कहने को तो आज हम आजाद हैं लेकिन आजादी काहे की भैया? आजाद घूमें तो अपहरण या मौत का भय, बहू-बेटी बाहर निकले तो छेड़खानी का भय, घर से बाहर गये तो चोरी का भय, बंदी के दिन बाहर निकल गये तो पिटने का भय… फिर भी कहते हैं कि देश आजाद है़सच पूछें तो जीने का अधिकार भी छीन लेना चाहते हैं कुछ लोग, फिर भी देश आजाद है!
माणिक मुखर्जी, जमशेदपुर