देश से प्यार करने के तरीके
आकार पटेल कार्यकारी निदेशक, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया आप अपने देश से कितने तरीकों से प्यार कर सकते हैं? वास्तव में भारतीय होना पहला तरीका है. इससे मेरा आशय भारतीय पासपोर्ट रखने से है. जहां तक मेरा मामला है, मेरे पास तीन पासपोर्ट हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि ज्यादातर देशों में जाने के लिए भारतीयों को […]
आकार पटेल
कार्यकारी निदेशक, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया
आप अपने देश से कितने तरीकों से प्यार कर सकते हैं? वास्तव में भारतीय होना पहला तरीका है. इससे मेरा आशय भारतीय पासपोर्ट रखने से है. जहां तक मेरा मामला है, मेरे पास तीन पासपोर्ट हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि ज्यादातर देशों में जाने के लिए भारतीयों को अग्रिम वीजा लेना पड़ता है, और मैं बहुत अधिक यात्राएं करता हूं, इसलिए मुझे दो पुराने पासपोर्ट भी रखने पड़ते हैं, जिनमें दीर्घकालिक वैध वीजा हैं.
मैंने देश के बाहर बहुत अधिक काम नहीं किया है, लेकिन मुझे पता है कि ऐसे कुछ भारतीय हैं, जिन्होंने विदेश में काम करते हुए ही अपना पूरा कामकाजी जीवन बिताया है, फिर भी उनके पास भारतीय पासपोर्ट हैं. संगीत संचालक जुबिन मेहता ऐसे ही एक व्यक्ति हैं. लंदन में एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव सलिल शेट्टी इसी सूची में हैं. मेहता ने बहुत सालों तक न्यूयॉर्क फिलहार्मोनिक ऑर्केस्ट्रा का नेतृत्व किया था और अपने समूह में एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्हें यात्राओं के लिए जरूरी वीजा लेने के लिए कतार में खड़ा होना पड़ता था, परंतु उन्होंने अपना भारतीय पासपोर्ट रखने का निर्णय किया था.
दूसरा, भारतीयों से प्यार कर भारत को प्यार किया जा सकता है. मेरा मतलब सभी भारतीयों से है- जो आपके धर्म से हैं और जो अन्य धर्मों को माननेवाले हैं या अलग जाति और भाषा से संबद्ध हैं. जिनसे आप सहमत होते हैं वे भी, और जिनसे आपकी असहमति है वे भी. शाकाहारी-मांसाहारी से भी. सभी भारतीयों को प्यार करना ही सही मायने में भारत को प्यार करना है. नक्शे पर खींची रेखाओं को प्यार करना एक प्रतीक को प्यार करना है.
तीसरा तरीका देश की भाषाओं को सीखना है, जितनी भाषाएं आप सीख सकते हैं. गांधीजी कहते थे कि सभी भारतीयों को दोनों- देवनागरी और फारसी-अरबी- लिपियों में हिंदुस्तानी जरूर सीखना चाहिए. मैंने दोनों लिपियों को सीखा है, पर मैं सहमत नहीं हूं कि सभी भारतीयों को हिंदुस्तानी सीखना चाहिए.
चौथा तरीका है इसके शास्त्रीय संगीत और इसकी कविता को समझना. यह वयस्क होने पर ही किया जा सकता है, क्योंकि हिंदुस्तानी संगीत परिपक्व है और इसका भाव उत्सवी नहीं, बल्कि उदासी से भरा है. इस देश और इसके लोगों को समुचित रूप से समझना संभव नहीं है, यदि आपको यह समझ नहीं है कि ख्याल और कर्नाटिक क्या हैं, और उन्हें एक खास तरह से ही क्यों प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें गानेवाले की आंखें बंद होती हैं. शेली की ओजिमैंडियस की तरह मुझे अनेक कविताएं याद हैं, लेकिन कोई भी मुझे उस तरह से प्रभावित नहीं करतीं, जैसा नरसिंह मेहता की नाग दमन पढ़ते या सुनते हुए लगता है. मेहता ने ही गांधी के पसंदीदा भजन ‘वैष्णव जन’ की रचना की थी. नाग दमन में बालक कृष्ण के कालिया नाग से लड़ने का वर्णन है, जिसे वे मारते नहीं हैं. यह कहने में मुझे कोई झिझक नहीं है कि इस कविता को सुनते हुए मैं अक्सर रो पड़ता हूं, खासकर जब इसे सामान्य संगीत में पेश किया गया हो.
पांचवां तरीका है इसके खाने को प्यार करना. इसका मतलब यह नहीं है कि आपको दूसरों के खाने के प्रति घृणा का भाव रखना है. इस मामले में मैं बहुत खुले स्वभाव का हूं. कुछ साल पहले वियतनाम यात्रा के दौरान मैंने हनोई में सांप और कुत्ता खाया था. मुझे जापानी खाना भी खूब पसंद है, पर मैं भारतीय खाना चाव से खाता हूं. सबसे अधिक मैं किसान पाटीदार समुदाय का खाना पसंद करता हूं, जिसमें लहसुन की चटनी के साथ बाजरे की मोटी रोटी और एक सब्जी होती है. इस रोटी को गुजराती में रोटलो कहा जाता है. दोपहर में अक्सर मैं यही खाना खाता हूं और जीवनभर मैं यह खाना रोज खा सकता हूं.
अपने देश से प्यार करने का छठवां तरीका है अपने संविधान को पढ़ना और जानना. भारत का संविधान दुनिया के सबसे बड़े संविधानों में एक है, लेकिन यहां मेरा मतलब इसकी शुरुआती बातों, प्रस्तावना और इसके महत्व तथा हमसे किये गये मौलिक अधिकारों के वादों के सही अर्थ को जानने से है. यह धरती के सबसे महान दस्तावेजों में से एक है और अधिक-से-अधिक भारतीय नागरिकों द्वारा इसका मनन किया जाना चाहिए.
सातवां तरीका है उन लोगों का सम्मान, जो हमारी सेवा करते हैं. मेरी नजर में खिलाड़ी से अधिक महत्वपूर्ण शिक्षक हैं. खेल में जीत एक ऐसे राष्ट्रवाद को बढ़ावा देती है, जो खोखला होता है और आखिरकार उसे विस्मृत हो जाना होता है. मैं खिलाड़ियों को नापसंद नहीं करता हूं, लेकिन मैं देश के लिए उनके योगदान को बहुत अधिक महत्वपूर्ण नहीं मानता हूं.
आठवां तरीका है अपने करों का भुगतान. ऐसा करने में मैं कोई गर्व की अनुभूति नहीं करता, क्योंकि यह तो मुझे करना ही चाहिए. लेकिन, अधिकतर भारतीय अपना आयकर नहीं चुकाते हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों को यह कर देने की जरूरत भी नहीं है, क्योंकि वे या तो गरीब हैं या फिर उन्हें छूट मिली हुई है. मैं इनके संदर्भ में बात नहीं कर रहा हूं. मैं कर चोरी करनेवाले उच्च वर्ग और मध्य वर्ग के भारतीयों से पूछता हूं- क्या आप भारत से प्यार करते हैं? आपका जवाब होगा- हां. मैं कहूंगा- नहीं.
नौवां तरीका है देश के लोगों से सहानुभूति रखना, हाशिये पर खड़े लोगों और कमजोर वर्ग के दर्द को महसूस करना. जब दलित को चोट लगे, तो हमें भी चोट महसूस हो. जब आदिवासियों का अपमान हो, तो हम भी अपमानित महसूस करें. जब मुसलिमों पर अत्याचार हो, तो हम भी शर्मिंदा हों. ऐसी सहानुभूति भारत को प्यार करने की भावना के समान ही है.
अपने देश से प्यार करने का आखिरी तरीका है इसके विरोधाभासों और विभिन्नताओं के प्रति खुलेपन की प्रवृत्ति रखना. ऐसे वृहत देश में एकरूपता थोपना- चाहे वह भाषा की हो या धर्म की, पर्सनल लॉ की, खाने की पसंद की, या फिर संगीत की- मेरी नजर में देश को पूरी तरह से प्यार करना नहीं है.
मेरी राय में ये मुख्य तरीके हैं, जिनसे हम अपने देश को प्यार कर सकते हैं. मेरे लिए बाकी चीजें महज संयोग हैं. आप मुझसे असहमत हो सकते हैं और शायद इस विचार को नापसंद भी करें, यह भी हो सकता है कि आप इसके लिए मुझसे घृणा करें. लेकिन, मैं आपको पहले की तरह ही प्यार करता रहूंगा.